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उपकार भी भावना Motivational Story in Hindi

 

एक किसान जो बहुत ही मेहनती था, उसके अनाजोँ को बेचनेँ के लिये बाजार जा रहा था। वो अपनेँ सारे अनाजोँ को बैलगाड़ी से ही एक साथ ले जा रहा था। बाजार पहुँचनेँ से पहले उस किसान के सामनेँ एक बहूत बड़ी समस्या आ गई। समस्या थी रास्ते मेँ पड़ा एक भारी पत्थर जो उसके बैलगाड़ी को आगे बढ़नेँ नहीँ दे रहा था। एक और समस्या थी कि पत्थर का भार बहूत ही ज्यादा था, वह किसान पत्थर को अकेला उठाने मेँ असमर्थ था।

किसान को बाजार जानेँ के लिये देरी हो रही थी, इस कारण वो और भी चिँतित हो गया कि अब वो पत्थर को अकेले हटाकर कैसे बाजार पहूँचे। तभी उसकी नजर टीले पर लेटे एक आदमी पर पड़ी, वह किसान उस व्यक्ति के पास मदद के लिये गया और दोनोँ पत्थर हटानेँ लगे। उस किसान नेँ मदद करनेँ वाले को धन्यवाद कहा और तारीफ की। और उस अनजान आदमी को गाली देनेँ लगा, बहुत बुरा भला कहनेँ लगा, जिसनेँ पत्थर बीच सड़क मेँ रखी थी।

जब किसान बैलगाड़ी पर बैठकर जानेँ ही वाला था तो उस मददगार आदमी नेँ किसान से कहा कि महोदय

आप जिस व्यक्ति को गाली दे रहे थे और अभी आपनेँ जिसकी तारीफ की एवं धन्यवाद कहा वो दोनोँ मैँ ही हूँ। असल मेँ मैँ बहूत ही ज्यादा थक गया था। और आराम के लिये एक अच्छी जगह ढुंढ रहा था तो यह पत्थर दिखा। मैँ इस पत्थर को पलटनेँ की कोशिश ही कर रहा था कि यह लुढ़कते हुये रास्ते के बीच मेँ आ गया। मैँने इसे हटानेँ की बहूत कोशिश की लेकिन अकेले नहीँ हो पाया। इसीलिये मैँ बहूत समय से किसी के आनेँ का इंतजार कर रहा था। और कई घंटे बाद आप आए। आपकी मदद से इसे हटाकर मेरा मन हल्का हो गया। अब मैँ आराम से घर जा सकता हूँ।

Friends इस कहानीँ से हमेँ यह शिक्षा मिलती है कि

(1.) गलती किसी की भी हो सकती है लेकिन जरूरी यह है कि आपनेँ उसे स्वीकारा कि बहाना बनाकर टाल गये और किसी दुसरे का नुकसान कर बैठे। गलती माननेँ से कोई छोटे नहीँ हो जाते।

(2.) बिना जानेँ या बिना प्रमाण के किसी पर आरोप नहीँ लगाना चाहिये क्योँकि बाद मेँ गलती आरोप लगानेँ वाले की भी हो सकती है।

(3.) उपकार भी भावना इंसान को बहूत ऊँचा उठाती है।

Thanks to Rajni ji for sharing me this short and Nice Story.. Thanks again Rajni…

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