बहानेँ बनाना छोड़िये, बर्बादी से नाता तोड़िये

Dear Friends आज के Title से ही आप समझ गये होँगे कि आज का हमारा Topic बहूत ही ज्यादा Interesting है लेकिन ये Article थोड़ा लंबा But हमारे Success के लिये बहूत ज्यादा Important है। इसलिये आप यदि एक बार मेँ इस Post को न पढ़ पायेँ तो कोई बात नहीँ इस Page को आप

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तो Start करते हैँ।

Friends  सक्सेस  जो  होती  है  उसे  हम  लोगोँ  के  बीच  की  एक  बेहतरीन  कड़ी  मान सकते  हैँ। मैँ  आप सभी  Readers  से  Simple  words  मेँ  यही  कहूँगा  कि  आप  सब  Successful  बन सकते  हैँ  बशर्ते  आपको उन  लोगोँ  का  अध्ययन  करना  होगा, उन  लोगोँ  के  जीवन के बारे मेँ जानना होगा जो अभी सफलता की चरम सीमा  पर हैँ  या  कहूँ जो  सफल  हो  चुके  हैँ। खैर  ये काम थोड़ा मुश्किल है क्योँकि आज दुनिया मेँ करोड़ोँ Successful लोग हैँ और उन सब के जीवन के बारे  मेँ  जानना  तो बहूत मुश्किल है पर आप यदि सफल लोगोँ को हमसे और अपनेँ आपसे Compare करके देखेँगे तो एक बहूत बड़ा Difference आपको देखनेँ को मिलेगा। इस Difference को हम एक बीमारी के तर्ज पर बहानासाइटिस नाम देते है.. बहानासाइटिस Means बहाना करनेँ की बीमारी। एक ऐसी बीमारी जो Regular आदमी को दीमक की तरह खोखला बना दे रही है वह बीमारी जो आम आदमी पर रोज हावी होती जा रही है।

सफलता की सीढ़ियोँ पर चढ़नेँ वाला इंसान बहानोँ का सहारा कभी भी नहीँ लेता लेकिन जो इंसान बार-बार असफलता की ओर अपनेँ कदम बढ़ाता है वो कहीँ न कहीँ इस बीमारी के जाल मेँ फँसा हूआ है।

Friends यदि आप Successful लोगोँ के बारे मेँ Search करेँगे तो यह एक बात जरूर पायेँगे कि आज जो इंसान जितना ज्यादा सफल है वह उतनेँ ही कम बहानेँ बनाता है या बहानेँ ही नहीँ बनाता। लेकिन क्या आपनेँ एक बात Notice की है कि जो इंसान योजनाये तो हजारोँ की तादात मेँ बनाता है पर कहीँ नहीँ पहूँच पाता उसके पास बहानेँ तो पुरे थोक मेँ मौजुद होते हैँ और कई लोग तो ऐसे भी होते हैँ जिनके पास तो योजनायेँ भी नहीँ होतीँ कि आखिर उन्हेँ क्या करना है और कहाँ जाना है।

आप यदि कभी भी किसी असफल व्यक्ति से पुछते हैँ कि भैया आपके पास तो Full Time था, Full supporter थे आपकी पढ़ाई भी बहूत अच्छे School- college मेँ हूई पर आज आप अपनेँ Papa का ही Money waste कर रहे हैँ, कोई काम भी नहीँ कर रहे हैँ बस घर पर ही बैठे हैँ तो वो आदमी तुरंत ही आपको सफाई दे देगा कि उसनेँ अमुक काम क्योँ नहीँ किया और वह इस काम को क्योँ नहीँ कर सकता और ये भी उसके पास पुरे सफाई के साथ मौजुद होगा कि वह असफल क्योँ है!!

यदि आप बहाना बनानेँ की आदतोँ का, बहाना बनानेँ वाली इस बीमारी बहानासाइटिस का सही समय पर इलाज नहीँ करवायेँगे तो हो सकता है आप बहाने बनाने की जाल मेँ ही फँसे रहेँ और उससे निकल ही ना पायेँ। सफल लोगोँ को यदि आप देखेँगे तो आपको ये अविश्वसनीय लगे लेकिन ये सच है कि सफल लोग भी आपकी तरह ही बहानेँ बना सकते हैँ पर वे ऐसा नहीँ करते और ये सच है कि बहानेँ न बनानेँ के कारण ही आज वो सफल हैँ।

Successful बननेँ की इस भाग दौड़ भरी जिँदगी मेँ यदि आप सही दिशा मेँ आगे बढ़ना चाहते हैँ तो आपको सबसे पहले अपनेँ बहानोँ की अर्थी निकालनी पड़ेगी, अपनेँ बहानोँ को जलाना पड़ेगा क्योँकि बहानासाइटिस एक ऐसी भयानक बीमारी है जो इंसान को कभी भी सफल होनेँ नहीँ देती।

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बहाना बनानेँ वाली बीमारी (बहानासाइटिस) के सबसे भयानक रूप-

(1.) दोस्त क्या करूँ मेरी तो तबीयत ही ठीक नहीँ रहती-

Dear friends आज असफलता के लिये कोई बहाना सबसे ज्यादा Use मेँ  लाया जाता है तो वह Related होता है सेहत से। जो व्यक्ति सेहत से Related बहानेँ बनाता है उसे मैँ सेहत का बहानासाइटिस नाम देता हूँ। अधिकतर लोग अपनी बीमारी को जाने बगैर ही अपनेँ मुँह से बार-बार ये वाक्य बाहर निकालते रहते हैँ कि मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीँ लग रही है। लेकिन कई बार आप ये वाक्य भी असफल लोगोँ के मुँह से सुनते होँगे कि क्या करूँ यार कुछ करना चाहता हूँ तो ये तबीयत खराब हो जाती है और मुझे यह एक बात समझ मेँ नहीँ आती कि आप इंसान हैँ या China Mobile जो आपकी तबीयत बार-बार खराब हो जा रही है। Friends बेहद सफल लोग भी इंसान ही हैँ और जाहिर सी बात है वो भी कभी न कभी बीमार पड़ते ही होँगे। सफल लोग कोई आठवेँ अजुबे मेँ तो नहीँ आते उनकी भी एक इंसानी दुनिया ही है लेकिन आपनेँ कभी ये तो नहीँ देखा होगा कि सफल लोग कभी सेहत के बहानासाइटिस से पीड़ित हैँ। स्वामी विवेकानंद जी आज यदि सेहत का बहाना बनाते हूये बैठे रहते तो क्या आज वो इतनेँ बड़े संत बनते क्या उनका नाम महापुरूषोँ की गिनती मेँ शामिल हो पाता बिल्कुल भी नहीँ।

स्वामी जी नेँ कभी भी बहानासाइटिस का Use अपनी लाइफ मेँ नहीँ किया। मैँ आपसे पुछता हूँ कि आप सफलता पाने के लिये स्वामी विवेकानंद जी के बताये हूये पथ पर चलते हैँ तो असफलता आप पर हावी क्योँ हो जाती है इसलिये क्योँकि आप बहानासाइटिस के जाल मेँ फँस गये हैँ लेकिन अब आपको इस बहानाबाजी से बाहर निकलना है कड़ी मेहनत करनी है और सही दिशा मेँ आगे बढ़ना है।

सेहत के बहानासाइटिस को अपनेँ पर हावी होनेँ से कैसे रोकेँ-

(1.) For example आपको सर्दी है और आप बार-बार सोँच रहे हैँ कि मुझे सर्दी है मुझे सर्दी है। घरवालोँ को भी बार-बार यही दोहरा रहे हैँ तो यकीनन आपकी एक छोटी सी सर्दी को बुखार मेँ Convert होना ही पड़ेगा। इसलिये सेहत के बहानासाइटिस से खुद को यदि छुड़वाना है तो किसी से और खुद से भी अपनेँ बुरी सेहत के बारे मेँ बात ही मत करिये। आप अपनेँ छोटे से बीमारी के बारे मेँ बात करते रहेँगे तो वह बीमारी उतनी ही बड़ी होती जायेगी, बिगड़ती जायेगी।

अपनेँ सेहत को लेकर कचर- कचर करते रहना एक बुरी आदत भी है इससे सामनेँ वाला आपको झेलनेँ लगता है। इससे लोग गलत प्रतिक्रिया देते हैँ, और बोर भी हो जाते हैँ। यदि आप सफलता के बारे मेँ सोँचते हैँ, सफल होनेँ के सपनेँ देखते हैँ तो आपको अपनेँ बुरी सेहत के बारे मेँ कभी भी चिँता    नहीँ करनीँ चाहिये। यदि आप अपनी बीमारी की आड़ मेँ सहानुभुति हासिल करना चाहते हैँ तो आप जान लीजिये कि आपको थोड़ी सहानुभुति तो मिल जायेगी लेकिन इस Type से हमेशा शिकायत करते रहनेँ से आपका सम्मान, आदर और आपके प्रति दुसरोँ का प्रेम घट जायेगा।

(2.) आपकी सेहत चाहे जैसी भी हो आपको हमेशा ईश्वर को Thank You कहना चाहिये क्योँकि आप इतनेँ सक्षम हैँ कि आप जरूर ही सफल हो सकते हैँ। वो लोग जो पोलियो से ग्रसित हैँ, विकलांग कंडिशन मेँ हैँ, जिनके हाथ पाँव नहीँ हैँ उनको एक बार सोँचिये वो लोग तो अपनी पुरी शक्ति के साथ मेहनत कर रहे हैँ और सफल हो रहे हैँ तो आप क्योँ नहीँ कर सकते व सफल नहीँ हो सकते।

(3.) यदि मैँ आपसे पुछुँ लोहे मेँ जंग क्योँ लगता है तो आपका जवाब होगा कि जब लोहा एक जगह पड़ा रहता है और जब उसका Use नहीँ होता तब जँग लगती है। Same यदि आप भी अपनेँ Future को लेकर बार-बार चिँता करते रहेँगे तो आपकी सफलता को भी जंग लग जायेगी आपका Mind शून्न हो जायेगा। So friends जंग लगने से कई गुना बेहतर है घिस जाना। इसलिये लाइफ के हर एक पल को भरपुर तरीके से खुलकर जीयेँ। यदि आप बार- बार चिँता करते रहेँगे तो Hospital का दरवाजा आपके लिये ही खुला है।

(4.) इन महान लोगोँ को थोड़ा देखिये-

** विल्मा रूडोल्फ को बचपन से पोलियो था लेकिन उन्होँनेँ अपनी बीमारी का बहाना नहीँ बनाया और नम्बर वन Runner का खिताब जीतीँ और वो एक स्वर्णपदक विजेता थीँ।

** लेखक वेदप्रकाश मिश्रा की आँखे नहीँ हैँ।

** वर्जिन एयरलाइंस के Chief रिचर्ड ब्रेन्सन को आँखोँ की कमजोरी और डिसलेक्सिक जैसी ढेरोँ बड़ी बीमारियाँ थीँ।

** राष्ट्रपति रूजवेल्ट के दोनोँ पैर अपंग थे काम नहीँ करते थे।

** डिज्नीलैँड बनाने के पहले वाल्ट डिज्नी का तीन बार नर्वस ब्रेकडाऊन हूआ था।

Friends इतनी बड़ी बीमारियोँ के बावजुद इन सफल लोगोँ नेँ कभी भी बहानोँ का सहारा नहीँ लिया तो आप क्योँ बहानोँ की चादर ओढ़े हूये हैँ क्योँ आपको सफल नहीँ होना है क्या!!

(2.) क्या करूँ Boss मेरी उम्र बहूत ही {कम/ज्यादा} है-

Friends अब Next बहाना जो सबसे ज्यादा Useful होता है वो है उम्र का बहानासाइटिस।

उम्र के बहानासाइटिस को भी आप दो Parts मेँ बड़े अच्छे से Divide कर सकते हैँ।

1.क्या करूँ मेरी उम्र बहूत ही कम है

2.क्या करूँ दोस्त मेरी उम्र बहूत ही ज्यादा हो गई है।

मैनेँ मेरे एक भैया से कहा अभी उनकी उम्र लगभग 24 वर्ष हो रही होगी। मैनेँ कहा भैया आज हम Education system मेँ चल रही गड़बड़ी और अपनेँ क्षेत्र मेँ हो रहे भ्रष्टाचार का रेस्क्यू आपरेशन करेँ !! तो उनका जवाब था क्या! मरेगा क्या अभी हम इतनेँ बड़े नहीँ हुये हैँ थोड़ा बड़ा तो हो जायेँ फिर ये सब चीज करेँगे, देख लेना।

लेकिन मैँ पुरा यकीन के साथ कह सकता हुँ कि यदि मैँ 10 साल बाद यही बात उनसे कहुँ तो उनका जवाब होगा अरे! 34-35 वर्ष हो गये ना अब नहीँ हो पायेगा घरवालोँ की जिम्मेदारी भी देखनी पड़ रही है, जब थोड़े उम्र मेँ कम थे तब हो जाता।

Friends लगभग-लगभग आपकी Life मेँ भी कहीँ न कहीँ अपनेँ उम्र का बहाना बनाते ही होँगे। बोलते होँगे कि उम्र कम है तो यह नहीँ कर सकता, उम्र ज्यादा है तो ये नहीँ कर सकता etc..

दोस्तोँ उम्र आपकी सफलता मेँ तभी बाधा बनती है जब आप खुद ऐसा सोँचते हैँ, उम्र का आपकी योग्यता से कोई भी Direct संबंध नहीँ होता ये इस बात पर Depend करता है कि आप अपना काम कितनी अच्छी तरह से कर सकते हैँ।

याद रखिये कि आपकी सोँच ही आपकी सफलता तय करती है।

उम्र के बहानासाइटिस को अपनेँ ऊपर हावी होनेँ से कैसे रोकेँ-

(1.) सफल लोगोँ की तरह सोँचने  का नजरिया विकसित कीजिये मतलब सफल लोग कभी भी ये नहीँ सोँचते कि अब तो टाइम निकल चुका ना यार, मुझे जो करना था उसे सालोँ पहले यदि Start किया रहता तो कितना अच्छा होता! यदि आप सोँचते हैँ कि Time निकल गया ना तो सचमुच समय आपके हाथोँ से निकल जायेगा और आप सिर्फ अवसर का Wait करते ही रह जायेँगे इसलिये आप भी सफल लोगोँ की तरह सोँचिये कि इतनेँ दिनोँ तक भले ही काम शुरू नहीँ किया लेकिन देर ही सही अब तो करनेँ जा रहा हूँ और यकीनन मुझे निश्चित तौर से सफलता मिलेगी अभी का समय ही तो मेरे लिये Golden Period है और इतनेँ अच्छे टाइम को मैँ हाथ से थोड़े जानेँ दुँगा।

(2.) अपनी वर्तमान उम्र के बारे मेँ हमेशा Positive सोँच रखिये और भविष्य मेँ वही काम करिये जो आप सचमुच करना चाहते हैँ। हमेशा यही सोँच रखिये कि मैँ अभी Young हूँ और उम्र चाहे कितनी भी हो जाये ये कभी भी मत सोँचिये कि बुढ़ा हो गया हूँ।

यदि आप इस टाइप से सोँचते रहेँगेँ तो यकीनन आपके अंदर रोज एक नया उत्साह पैदा होगा और आप अधिक Young भी दिखनेँ लगेँगे।

(3.) यदि आप सोँचते हैँ कि मैँ 60 वर्ष तक जीवित रहूँगा तो आप 70 वर्ष तक जीवित रहेँगे क्योँकि आप जितना सोँचते हैँ  असल मेँ जिँदगी उससे बहूत लम्बी होती है। इसलिये इस समय का भरपुर फायदा उठायेँ अपनी जिँदगी को खुलकर जीयेँ। जो काम भूतकाल मेँ नहीँ हो पाया उससे पछतानेँ की कोई जरूरत नहीँ क्योँकि अभी तो आप Really बहूत Young हैँ यार।

(4.) इन लोगोँ को याद कीजिये विश्व प्रसिध्द केँटुकी फ्राइड चिकन के मालिक जिन्होँने अपना रेस्तराँट 60 वर्ष की उम्र मेँ Start किया था इसलिये दोस्तोँ आपकी उम्र अब शायद ज्यादा नहीँ हूइ है।

याद करेँ Mr. सुहास गोपीनाथ जी को जिन्होँनेँ 15 वर्ष के उम्र मेँ ही अपनी कंपनी Start कर दी थी तो यकीनन आपकी उम्र अब कहाँ कम होगी।

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  1. क्या करेँ भाईसाहब हमारी तो किस्मत ही खराब है-

अब इस बहाना की दुहाई तो पता नहीँ भारत की 95% जनता देती है। कोई Business start किया तो वह Business चौपट हो गई तो आदमी ये थोड़े सोँचेगा कि मेरे मेँहनत मेँ कमी थी वो तो यह झठ से बोल देगा कि क्या करूँ मेरी तो किस्मत ही खराब थी। तो क्या किस्मत कोई गाड़ी का इंजन है जो खराब हो जायेगा। मैनेँ मेरे First article 2014 के 14 Special वादे मेँ किस्मत के बारे मेँ एक Point लिखा था लेकिन Sir Aamir khan की ये शायरी तो दिमाग मेँ ही बैठ  बैठ गई है और मैनेँ मोबाइल मेँ इसी शायरी को रिँगटोन रखा है ना-

बंदे हैँ हम उसके, हमपे किसका जोर

उम्मीदोँ के सूरज, निकले चारोँ ओर

इरादे हैँ फौलादी, हिम्मती हर कदम

अपनेँ हाथोँ किस्मत लिखनेँ, आज चले हैँ हम।

किस्मत के बहानासाइटिस से कैसे खुद को बचायेँ-

(1.) आप उन लोगोँ को देखिये जो आज सफल हैँ तब आपको दिख जायेगा कि उनकी सक्सेस का Secret कोई किस्मत नहीँ है बल्कि  उनकी सफलता अपनी तैयारी,योजना, अपनी सफलता को देखे जानेँ वाले नजरिये और सही दिशा मेँ कड़ी मेहनत का परिणाम  है।

(2.) मान लीजिये Mr. A कड़ी मेहनत कर रहे हैँ लेकिन अचानक फिसल गये तो Mr. A अपनी गलतियोँ से सीख लेँगे लेकिन Suppose Mr. B कड़ी मेहनत कर रहे हैँ और अचानक वो भी फिसल गये तो वो तुरंत हार मानकर अपनी किस्मत का रोना रोयेँगे और अपनी गलती से कुछ सीखनेँ के बजाये बहानेँ बनायेँगे।

तो Friends आप Mr. A बनना पसंद करेँगे कि Mr. B उसे मैँ आप पर छोड़ता हूँ।

(3.) दोस्तोँ अपनेँ खयालोँ मेँ भी कभी ये मत सोचिये कि आज से 2 वर्ष बाद बिना मेहनत किये मैँ पाँच चार पहिये वाली गाड़ी लुँगा और बिना मेहनत के ही मैँ अपनीँ किस्मत से करोड़पति बन जाऊँगा।

Friends किस्मत के सहारे रहनेँ के बजाये उन सिध्दांतोँ का पालन कीजिये जिससे आप Real मायनेँ मेँ Successful बन सकते हैँ।

आप स्वयं मेँ ऐसे गुण, ऐसे चरित्र और ऐसे संस्कारोँ का विकास कीजिये कि आप वाकई जीत जायेँ और एक विजेता की तरह अपना जीवन बितायेँ। बाकि As Your Wish.

(4.) अपनेँ उंगलिये मेँ अलग-अलग प्रकार के अंगुठियोँ का सहारा लेना छोड़िये, हवन कुँड पुजा पाठ मेँ लाखोँ रूपये खर्च करना बंद कर दीजिये Indirect रूप से अब किस्मत के भरोसे रहना बँद कर दीजिये। आप अपनी पुरी मेहनत मेँ जुट जाईये किस्मत को अपना काम करनेँ दीजिये, बस आप अपनी पुरी मेहनत सफल होनेँ मेँ लगा दीजिये और आप यकीनन सफल होँगे।

और यदि इस दुनिया मेँ किस्मत नाम की कोई चीज है तो किस्मत और भाग्य भी आपको जरूर सलाम करेगी।

(5.) दोस्तोँ अब्राहम लिँकन को याद कीजिये वे 15 बार चुनाव हारनेँ के बाद अमेरीका के राष्ट्रपति बनेँ थे यदि वो घर पर किस्मत के भरोसे बैठ जाते तो क्या वो कभी वहाँ इतनेँ Famous president बन पाते कतई नहीँ।

  1. क्या करूँ मेरे पास सफल व्यक्ति जितनी बुध्दि और गुण नहीँ है-

Friends कई लोगोँ का यह भी कहना होता है कि हमारे पास इनके जितनी बुध्दि नहीँ है नहीँ तो क्या हम भी सफल नहीँ हो जाते। और इस प्रकार हम अपनी लाइफ मेँ दो सबसे बड़ी गलतियाँ करते हैँ-

(1) हम अपनी बुध्दि को बहूत कम आँकते हैँ। और

(2) हम दुसरोँ की बुध्दि को बहूत ज्यादा आँकते हैँ।

Friends ये बात मायनेँ नहीँ रखती कि आपके अंदर कितनी बुध्दि है बल्कि यह जरूरी है कि आप अपनेँ बुध्दि का किस तरह से Use करते हैँ।

आपकी बुध्दि की Capacity से ज्यादा Important है वो नजरिया जो आपकी बुध्दि को सफलता की दिशा दिखा रही है।

“ज्ञान ही शक्ति है” इस बात को आप सब जानते हैँ लेकिन ज्ञान तब शक्ति बनती है जब आप इसका भरपुर Use करते हैँ और तभी जब इसका Positive और रचनात्मक Use होता है।

आइन्सटीन नेँ हमेँ एक बहूत ही अच्छी बात बताई है कि अपनेँ दिमाग को तथ्योँ या जानकारी का गोदाम बनानेँ से हमेशा बचिये बल्कि इससे ये ज्यादा जरूरी है कि आप अपनेँ दिमाग से सही तरीके से सोचनेँ का नजरिया विकसित कीजिये।

Friends आप यदि सोँचते हैँ कि सचिन तेँदुलकर मेँ जो हूनर है वो मुझमेँ नहीँ

लेकिन आपके अंदर जो टेलेँट है वो सचिन तेँदुलकर जी के पास नहीँ है।

सफल लोगोँ के भीतर जो Quality है वो आपके भीतर नहीँ है लेकिन आप ये क्योँ भुल जाते हैँ कि जो गुण आपके अंदर होँ जरुरी नहीँ कि वही उन महानायकोँ के अँदर भी हो।

So friends अपनी बुध्दि को कम आँकना बंद कीजिये अपनेँ अंदर की Quality को पहचानिये यदि आज आपनेँ बहाना बनाया, आज आपनेँ अपनी शक्ति को नहीँ पहचाना तो हो सकता है बहानासाइटिस नामक बीमारी आपकी सफलता का दरवाजा ही बंद कर दे।

यही बहानेँ ही आपके सपनोँ को तोड़कर रख देँगे आपके आत्मविश्वास को कम कर देँगे। बहानोँ के चलते कोई दुसरा बर्बाद नहीँ होगा, बल्कि आपकी जिँदगी ही नर्क बन जायेगी।

आप यदि बर्बाद होते हैँ तो दुसरोँ पर आरोप लगानेँ से पहले एक बार सोँच ही लीजियेगा क्योँकि आपकी बरबादी के लिये आप स्वयं ही जिम्मेदार होँगे।

इसलिये चुनाव मैँ आप पर छोड़ता हूँ कि–

आपको सफलता चाहिये कि कोरा बहाना।

आपको मान-सम्मान चाहिये कि कोरा बहाना

आपको अपनी खुद की पहचान चाहिये कि कोरा बहाना।

आपको सफलता की तरफ अपनेँ कदमोँ को बढ़ानेँ के लिये साहस और आत्मविश्वास चाहिये कि कोरा बहाना।

दोस्तोँ याद रखिये कि बहाना बर्बादी के  सिवाये और कुछ भी नहीँ है। आइन्स्टाइन और एडिसन को उनके टीचर मंदबुध्दि कहते थे पर उन्होँने तो कभी बहानोँ का सहारा नहीँ लिया

इसलिये आप भी बिना नखरा किये, बिना बहाना बनाये अपनेँ काम मेँ डँटे रहिये और हमेशा धैर्य बनाये रखिये सफलता आपके कदम जरूर चुमेगी।

 

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