ये तीन कहानियाँ बताती हैं कि शुरूआत कहीं से भी हो सकती है

कल्पना सरोज:- कल्पना सरोज, कभी कीटनाशक का जहरीला दवा की तीन बोतलें पीकर मौत चाही थीं लेकिन कमानी ट्यूब्स की एक नामी कम्पनी की CEO  हैं इसका 600 करोड़ का टर्नओवर है। 

इनका जन्म एक गरीब तथा दलित वर्ग में हुआ था। भारत में छोटे जाति में पैदा होने वाले लोगों के साथ पक्षपात किया जाता है, जिसका सामना कल्पना जी को भी करना पड़ा। कल्पना जब अपने दोस्तों से मिलने उनके घर जाया करतीं थीं तो उन बच्चों के माता-पिता उनको घर में घुसने नहीं देते थे। और उन्हें स्कूल के किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने नहीं दिया जाता था क्योंकि वे दलित थीं। मन ही मन कल्पना दोहराती रहतीं कि मेरे साथ ऐसा क्यों होता है? आखिर मैं भी तो इंसान ही हूँ!

जब कल्पना 12 वर्ष की हुईं तो उनकी शादी उनसे 10 वर्ष बड़े आदमी से कर दी गई।  शाद के बाद वो मुंबई में अपने पति के साथ झुग्गी में रहीं।  उनके पति के बड़े भाई और भाभी उनके साथ बुरा बर्ताव करते, बालों को नोचते और छोटी-छोटी बातों पर उन्हें पीटते थे। उन्होंने अपने पति से तलाक के लिए कई सामजिक दबावों का सामना किया, वो हर दिन मानसिक रूप से टूटती जा रही थीं।

वे अपनी जिंदगी से तंग आ चुकी थीं, इसलिए वे अपने पिता के साथ अपने गांव लौट आईं।  गांव वालों ने उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया। निराशा में कल्पना ने अपनी जिंदगी को ख़त्म करने का फैसला कर लिया और एक कीटनाशक दवा की तीन बोतलें पी लीं। कल्पना के मुंह से झाग आते और उसे कांपते हुए देख उसकी आंटी ने उसे बचा लिया।

जब वो मौत के मुंह से बाहर आईं तो उन्होंने फैसला कर लिया कि अब मरने से पहले इस जिंदगी में कुछ बड़ा करना है।

16 साल की उम्र में वे दोबारा मुंबई लौटीं और हौजरी हाऊस में 2 रूपये रोज  शुरू कर दिया। जब वे 22 साल की हुईं तो उन्होंने स्टील फर्नीचर के  कारोबारी से शादी कर लिया पर कुछ वक्त बाद उनकी मौत हो गयी। फिर उन्होंने खुद कारोबार संभाला। कुछ सैलून बाद कंस्ट्रक्शन बिजनेस शुरू किया और फिर स्टील और शुगर फैक्ट्री खोली।  2006 में 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स कंपनी का अधिग्रहण किया। आज कल्पना 600 करोड़ के समूह की CEO हैं।

 

वीरेन्द्र सिंह :- वीरन्द्र सिंह, सुन-बोल नहीं सकते।  अपने कोच के इशारों और पहलवानों को देख सीखी कुश्ती।

virender-singh

हरियाणा के झज्जर  वीरेन्द्र गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर हैं।  वे सुन बोल नहीं सकते।  सीआरपीएफ में काम करने वाले पिता को कुश्ती पसंद थी। उन्हें देख 5-6 साल की उम्र में वीरेन्द्र भी पहलवानी करने लगे।  लोग उन्हें देखकर ताने कसते थे, कहते थे की देखो अब गूंगा भी पहलवान बनेगा।  पर वे अखाड़े में कोच के होठों की फड़कन और पहलवानों को देखकर दांवपेंच सीखने लगे।  2002 में नेशनल चैम्पयनशिप में टॉप-3 में थे पर अंतराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के लिए सलेक्शन नहीं हुआ।  वे दुखी हुए, पर लगे रहे, और उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

डीफ़्लिम्पिक्स यानी बधिरों के ओलम्पिक में 2005 (मेलबॉर्न) और 2013 (बुल्गारिया) में स्वर्ण जीता।  पहलवान सुशील कुमार कहते हैं कि वीरेन्द्र से पांच बार भीड़ा पर हरा नहीं पाया।

 

नवीन गुलिया :- 20 साल पहले डॉक्टर ने कहा था- ज्यादा से ज्यादा तीन दिन की जिंदगी है। 

navin

गुड़गांव के नवीन देहरादून की मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग लेते वक्त बाधा-दौड़ में फिसलकर गिरा पड़े।  इस दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी टूट गयी और शरीर लकवाग्रस्त हो गया।  डॉक्टरों ने कहा तीन दिन से ज्यादा नहीं बच सकते।  ये बात 1995 की है।  नवीन कहते हैं- ‘मेरी सिर्फ पलकें हिल सकतीं थीं, पर मेरा दिमाग काम कर रहा था।  मैंने खुद से कहा की मैं सब कर सकता हूँ।  और मैं चेतन मस्तिष्क तक बार-बार यह सन्देश भेजता रहा कि मैं ठीक हो रहा हूँ, मैं ठीक हो जाऊंगा और मैं ठीक हो रहा हूँ।  धीरे-धीरे मेरे शरीर ने रिस्पॉन्स करना शुरू कर दिया। दो साल अस्पताल में रहने के बाद व्हीलचेयर पर बाहर आया।  कार में बदलाव कर चीन सीमा से सटे मार्सिलिक दर्रे के सफर पर निकल गया।  माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प से भी 1200 फ़ीट ऊपर 18600 फ़ीट ऊंचाई पर इस दर्रे में महज 55 घंटे में पहुँचने का रिकॉर्ड बना डाला।

इन्हें भी जरूर पढ़ें;- १. गहने बेचकर शुरू किया काम, आज हैं अरबपति..

२. पैरोँ की अंगुलियोँ से गढ़ रहे हैँ अपना भविष्य

दोस्तों, इन तीनों रियल लाइफ हीरोज़ से इंस्पायर प्रेरणादायक कहानियां हमें बताती हैं कि शुरूआत कहीं से भी की जा सकती है।

 

सफलता के लिए अपनाएँ स्वामी विवेकानंद जी की 6 बातें श्री नरेंद्र मोदी जी के 7 प्रेरक कथन Narendra Modi Inspiring Thoughts in Hindi बिल गेट्स के 6 इन्स्पाइरिंग थॉट्स सचिन तेंदुलकर के 6 बेस्ट मोटिवेशनल थॉट्स इलोन मस्क के 8 बेस्ट इंस्पायरिंग थॉट्स Elon Musk Quotes in Hindi