विजेता हमेशा क़दमों के निशान छोड़ जाते हैं

कोई भी सफल व्यक्ति अपनी सफलता का पूरा श्रेय कभी भी खुद को नहीं देता क्योंकि उसे पता होता है कि उसकी कामयाबी के पीछे बहुत सारे लोगों का हाथ होता है। एक सफल इंसान वही होता है जो अपनी पहचान पीछे छोड़ जाये। किसी के कामयाबी के पीछे बहुत सारे लोग शामिल होते हैं, जो कई रूप में हमारे सामने होते हैं जैसे- शिक्षक, माता-पिता, प्रशंसक, सलाहकार, जीवनसाथी।  जब हम संघर्ष से जूझ रहे थे, कठिन परिश्रम कर रहे थे उस वक्त जिन लोगों ने हमें Inspire किया, जिन लोगों ने हमारी मदद की, हम उनका कर्ज कभी चाहकर भी नहीं  चूका सकते। और यदि हम उनके प्रति थोड़ा-सा आभार प्रकट करना चाहते हों तो आने वाली पीढ़ी की मदद करके हम यह कर सकते हैं। एक सच्चे विजेता के पास अपना आभार प्रकट करने का एक ही सबसे बड़ा रास्ता है कि वह आने वाली पीढ़ियों का सही मार्गदर्शन करे।

इस कविता से यह बात साफ़ और स्पष्ट हो जाती है :-

रास्ता बनाने वाला

एक बुजुर्ग, जो एक सुनसान सड़क पर जा रहा था,

शाम होते-होते ठंडा और ठिठुरता पहुंचा,

एक लम्बे, गहरे  और चौड़े दर्रे के करीब,

जिसके अंदर तेज पानी बह रहा था।

बुजुर्ग ने शाम के धुंधलके में उसे पार किया;

पानी की धारा से उसे कोई  डर नहीं लगा;

मगर वह पीछे मुड़ा, सुरक्षित पार कर जाने के बाद,

और उन लहरों के आर-पार एक पूल बनाया।

“ओ बुज़ुर्ग” एक साथी यात्री ने पुकारा,

“तुम इसे बनाने में बेकार की मेहनत कर रहे हो;

तुम्हारी यात्रा  दिन के ढलते ही ख़त्म हो जाएगी;

और फिर तुम कभी इस रास्ते से नहीं गुजरोगे;

तुमने इस चौड़े और गहरे दर्रे को पार कर लिया है —

तुम इस धारा पर पूल  क्यों बना रहे हो?”

उस बुजुर्ग ने अपने सिर को उठाकर कहा,

“प्यारे दोस्त, जिस रास्ते से मैं आया हूँ,

उस राह में मेरे पीछे आ रहा है

एक नौजवान जिसे यहीं से गुजरना है।

यह दर्रा जो मेरे लिए मुश्किल रहा,

उस सजीले नौजवान के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।

उसे भी शाम के धुंधलके में पार करना पड़ेगा;

मेरे दोस्त, मैं यह पूल उस नौजवान के लिए बना  रहा हूँ। ”

                                                                      —— विल एलेन ड्रमगुले

दोस्तों, हम मन में अधिकतर बार यह वाक्य दोहराते हैं कि ‘ काश किसी ने पहले इस बारे में बताया होता तो आज जिंदगी कुछ और होती ‘  यदि आपको जिस ज्ञान को मिलने में इतनी देरी लगी तो आप उसे सामने वाले तक बांटने में देर क्यों करते हैं।

सुकरात ने प्लेटो को शिक्षा दी, प्लेटो ने अरस्तु को पढ़ाया; अरस्तु, सिकंदर महान के शिक्षक बनें।  याद रखिये ज्ञान यदि एक से दूसरे को न हासिल हुआ होता तो वह मर चूका होता।

यदि आप भी एक सच्चे विजेता बनना चाहते हैं तो अपने ज्ञान को समेटकर मत रखिये, दूसरों के बारे में सोचिये, आने वाली पीढ़ी को आपके ज्ञान की, गाईड की जरूरत है।

कल आपके कारण कोई एक बंदा भी अपने को खुशकिस्मत मानता है और उसकी कामयाबी के पीछे आपका जिक्र करता है तो इससे बड़ी ख़ुशी की बात, किसी के लिए और क्या होगी?

हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसी विरासत दें जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकें।

नोट:- यह छोटा-सा मोटिवेशनल आर्टिकल शिव खेड़ा जी के किताब “जीत आपकी ” से प्रेरित है।

 

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