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जैसा नजरिया, वैसा संसार Article on Viewpoint in Hindi

दोस्तों, दुनिया को खुली आँखों से देखने के लिए हर इंसान का अपना एक नजरिया होता है.. गुलाब के ही पौधे में किसी को एक सुन्दर का मनमोहक फूल नजर आता है तो वहीँ किसी को सिर्फ कांटे.. जो व्यक्ति जैसा सोचता है, दुनिया उसे वैसी ही नजर आती है.. कुछ लोग हमेशा समस्याओं को देखते हुए आगे बढ़ते का सपना देखते हैं तो कुछ लोगों को हर ओर अवसर दिखाई देता है.. हमने ऐसे लोगों को भी देखा है जो लोग अपने जन्मदिन पर भी दुखी होते हैं, वे सोचते हैं कि उनकी  उम्र कम हो गई.. तो कुछ लोग बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं कि एक जबरदस्त और शानदार साल बीता और अब एक शानदार साल सामने है… अपनी सोच के अनुसार ही चीजें नजर आती हैं और वैसी ही घटती हैं…

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आइये नजरिये को समझने के लिए एक Short Hindi Kahani के साथ आगे बढ़ते हैं-

चार अंधे व्यक्ति एक राजा के दरबार में गए.. राजा ने उन्हें एक हाथी के सामने खड़ा कर दिया और कहा- जिसका आप सब लोग स्पर्श कर रहे हैं, उसका वर्णन कीजिये!

जो व्यक्ति पूंछ की तरफ खड़ा हुआ था उसने कहा कि हाथी एक रस्सी की तरह होता है, एक व्यक्ति जो हाथी के पैरों की तरफ खड़ा था उसने कहा कि हाथी एक पेड़ के मोटे तने की तरह होता है.. जो व्यक्ति सूँड़ की तरफ खड़ा हुआ था उसने कहा कि यह हाथी तो सांप की तरह होता है… जो व्यक्ति पेट की तरफ खड़ा हुआ था वह बोलने लगा नही-नहीं हाथी तो मोटे से दीवार की तरह होता है और चारों व्यक्ति बहस में उलझ पड़े…

फ्रेंड्स इस कहानी का सर यह है कि हर व्यक्ति, हर वस्तु या किसी घटना को अपने नजरिये से देखता है.. एक ही व्यक्ति किसी के लिए बुरा हो सकता है तो किसी के लिए बहुत अच्छा! एक ही वस्तु या किसी मुद्दे के बारे में विभिन्न लोगों के भिन्न-भिन्न राय हो सकते हैं.. इसलिए हमेशा अपने नजरिये पर काम कीजिये. यदि आपका नजरिया सुख और ख़ुशी तलाशने वाला होगा तो सुख और ख़ुशी स्वयं ही आपके तरफ आकर्षित होने लगेंगी.. और स्वयं ही आपका साथी बन जाएँगी…

उसी तरह इसके विपरीत यदि आपका नजरिया दुःख ढूंढने वाला होगा तो आप हमेशा दुखी रहेंगे और दुःख कभी भी आपका पीछा नहीं छोड़ेगा…

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नजरिये से सम्बंधित एक बहुत ही पुरानी कहानी जिसे हम बचपन से सुनते आ रहे हैं उस कहानी को आगे दोहराना चाहेंगे-

जूतों की एक प्रसिद्ध कम्पनी ने अफ्रीका में अपना कारोबार फैलाने के लिए एक सैल्समैन को बाजार का जायजा लेने के लिए भेजा.

सेल्समैन ने वहां पहुंचकर देखा कि अधिकतर लोगों के पैर में जूते नहीं थे.. निराश होकर उसने कंपनी को रिपोर्ट भेजी और कहा कि एक बुरी खबर है, यहाँ कोई जूते नहीं पहनता..

इसके ठीक बाद कम्पनी ने दुसरे सेल्समैन को रिपोर्ट लेने के लिए भेजा और राय जाननी चाही..

कुछ समय बाद उत्साहित सेल्समैन की रिपोर्ट कम्पनी को प्राप्त हुई जिसमे लिखा था- बहुत ही अच्छी खबर है, वहां पर अच्छा बिजनेस चलने की पूरे संभावना है, हमें खूब मुनाफा होगा..यहाँ के लोग जूते नहीं पहनते,  हमें बस एक बार उन्हें जूतों का महत्व समझाना है…

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दोस्तों, नजरिया हमारी सफलता पर बहुत बड़ा फर्क डालती है.. हमें स्वयं को, अपने परिवार और मित्रों को हमेशा सकारात्मक सोच देना चाहिए… धन-दौलत देने वाले माता-पिता से ज्यादा श्रेष्ठ वे माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चों में सही नजरिये का विकास कर पाते हैं..  किसी भी क्षेत्र में पूर्ण राय बनाने के पूर्व, अलग कोण से सोचिये और फिर जाकर निर्णय लीजिये.. सुख ढूंढने की आदत बनाइये.. मुसीबतों में अवसर ढूंढने का प्रयास करिए… क्योंकि सिर पकड़कर बैठे रहने से कुछ हासिल नहीं होने वाला..

यदि नजरिया नेगेटिव है तो आप अपने पास सब कुछ होते हुए भी परेशान ही रहेंगे. याद रखिये दुनिया में सबको बदलने का असफल प्रयास करने से कई गुना ज्यादा सरल है, अपने आप को बदल लेना.. खुद को बदल लेना…

ज्यादातर लोग अपने क्षेत्र में इसलिए सफल नहीं हो पाते क्योंकि वे हमेशा नकारात्मक पहलु पर ही अपने नजरें गड़ाते हैं.. यदि आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आपको अपने अन्दर सकारत्मक नजरिया विकसित करना होगा… सफलता का प्रतिशत तब तक नहीं बढेगा जब तक आप अपने अन्दर सकारात्मक नजरिया वाला बीज नहीं बो देते….

भविष्य में नजरिया से सम्बंधित बेहतरीन हिंदी पोस्ट हमारी सफलता पर पब्लिश की जाएँगी…

नोट- यह आर्टिकल उज्जवल पाटनी जी की किताब जीत या हार रहो तैयार’ से प्रेरित है..

                                                               धन्यवाद!

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