सफलता के लिए लोगों को प्रेरित करने की वो विधि जो आप नहीं जानते !

सफलता के लिए लोगों को प्रेरित करने की विधि Motivational Tips in Hindi by Kiran Sahu.

 

पीट बारलो नाम का व्यक्ति सर्कस में काम किया करता था, उसने अपनी पूरी जिन्दगी सर्कस के शो करते हुए गुजार दी थी.

जब अभी बारलो, कुत्तों को प्रशिक्षण देने का काम करता था और कुत्तों में जरा-सा भी सुधार होती थी तो बारलो उनकी पीठ थपथपाता था, उनकी तारीफ़ करता था और उन कुत्तों को गोश्त का टुकड़ा देता था…

यह सर्कस के मामले में कोई बड़ी बात नहीं है, जानवरों को प्रशिक्षित करने वाले लोग वर्षों से इस टेकनिक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं…

आज के समय में हम कुत्तों को बदलने वाली इस कॉमनसेंस भरी टेकनिक का इस्तेमाल इंसानों को बदलने के लिए क्यों नहीं करते!  हम आलोचना करने की बजाय प्रशंसा का इस्तेमाल क्यों नही करते?,  हम कोड़े की डर की बजाए गोश्त का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?   हमें थोड़े से सुधार की भी तारीफ करनी चाहिए… इससे सामने वाले व्यक्ति को सुधरने में प्रोत्साहन और प्रेरणा मिलेगी…

जब मैं स्कूल में था तो मैं एक एवरेज स्टूडेंट हुआ करता था, क्लास में एक से बढ़कर एक पढने वाले स्टूडेंट्स थे. आज जब मैं स्कूल लाइफ को याद करता हूँ तो मेरे दिमाग में टीचर्स को लेकर बहुत सारे प्रश्न उठते हैं.

स्कूल में टीचर्स बच्चों को पढ़ाते हुए बीच-बीच में कुछ Questions पूछा करते थे, और उस बीच यदि स्टूडेंट Answer न दे पाए तो सारे स्कूलों की तरह पनिशमेंट के रूप में मुर्गा बैठा दिया जाता था, जिसे कि सब जगह कॉमन समझा जाता है… और मुझे मुर्गा बैठने की आदत सी बन गयी थी, हांलाकि मैं टूटे-फूटे शब्दों में Answer देने की पूरी कोशिश करता था, लेकिन बावजूद इसके टीचर्स मुझे और मेरे अन्य कमजोर स्टूडेंट्स को पनिश करते थे…

यदि उस समय टीचर्स हमारे साथ सर्कस वाले इस टेकनीक का इस्तेमाल करते तो यकीनन हमारे अन्दर आत्मविश्वास भर जाता, और हम ज्यादा मेहनत करते… यदि वो हमारी पीठ थपथपाते, हम थोडा सा भी ज्यादा बेहतर करते तो वो हमें शाबासी देते… और उनके खुलकर तारीफ़ करने से, हमारा हौसला बढाने से हम कई गुना ज्यादा मेहनत करते जितना मुर्गा बनकर कभी संभव नहीं हो पाता…

 

आइये नीचे कुछ Real Life Example देखते हैं जो हमें सिखाएगी कि सफलता के लिए लोगों को Inspire कैसे किया जाए…

 

  • दस साल का एक बच्चा नेपल्स की एक फैक्ट्री में काम कर रहा था. वह एक गायक बनना चाहता था, पर उसके पहले संगीत शिक्षक ने उसके हौसले को ठंडा करते हुए कहा- “तुम कभी गायक नहीं बन सकते, तुम्हारी आवाज में दम नहीं है. तुम्हारे गाने सुनकर ऐसा लगता है जैसे हवा से शटर गिर रहे हों…”

लेकिन उस बच्चे की माँ ने, जो एक गरीब किसान महिला थी, उसे अपनी बाहों में भरकर उसने उसकी तारीफ़ की और उसे बताया कि वह जानती है कि वह गायक बन सकता है. और उसमें लगातार सुधार हो रहा है.. इतना ही नहीं अपने बच्चे की फ़ीस जुटाने के लिए वह नंगे पैर रही.. गरीब माँ की तारीफ़ और प्रोत्साहन ने उस बच्चे की लाइफ चेंज कर दी… उस बच्चे का नाम एनरीको कैरुसो था और वह अपने जमाने का सबसे महान और प्रसिद्ध ऑपेरा गायक बना….

 

  • लन्दन का एक नौजवान एक लेखक बनना चाहता था, लेकिन उसे लगता था कि हर एक चीज उसके खिलाफ है.. वह सिर्फ चार साल तक ही स्कूल गया था, उसके पिता कर्ज न चुका पाने के कारण जेल में थे और वो युवक अक्सर ही भूखा रहता था… आख़िरकार उसे चूहों से भरे एक वेअरहाउस में बोतलों पर लेबल लगाने का काम मिल गया. दो और बच्चों के साथ- जो लन्दन की झुग्गियों और गटर के माहौल से आये थे. वह रात में उसी दबड़े में सोया करता था. उसे लेखन की अपनी योग्यता में इतना कम भरोसा था कि उसने अपनी पहली पाण्डुलिपि रात के अँधेरे में डाक के डिब्बे में डाली ताकि कोई उसकी हँसी न उड़ाए…

कहानी के बाद कहानी रिजेक्ट होती चली गयी. आख़िरकार एक महान दिन आया जब उसकी कहानी स्वीकार कर ली गयी, यह सच है कि उसे इसके बदले में एक भी पैसा नहीं मिला, लेकिन संपादक ने उसकी बहुत तारीफ़ की. एक संपादक ने उसे बहुत सम्मान दिया, वह इतना ज्यादा रोमांचित था कि वह सड़कों पर बौराया हुआ घूमता रहा, और उसके गालों पर ख़ुशी के आँसू बह रहे थे…

अपनी एक कहानी के छपने की ख़ुशी और प्रसन्नता ने उसकी लाइफ पूरी तरह से चेंज कर दी… क्योंकि अगर यह प्रोत्साहन न मिला होता, तब वह सारी जिन्दगी चूहों से भरी फैक्ट्री में बोतलों पर लेबल ही लगाता रहता.. आपने शायद उस नौजवान का नाम जरूर ही सुना होगा .. उसका नाम था चार्ल्स डिकेंस…

 

  • लन्दन का ही एक और किशोर ड्राई-गुड्स स्टोर में क्लर्क था, उसे एकदम सुबह पांच बजे उठना पड़ता था, स्टोर में उसको झाडू लगानी पड़ती थी और वह हर दिन चौदह घंटे ड्यूटी करता था जो उसके लिए बहुत बुरा समय होता था… लगातार दो साल तक उस काम को करते-करते वह परेशान हो चूका था.

एक दिन सुबह उठते ही वह बिना नाश्ते किये पंद्रह मील पैदल चलकर अपनी माँ से मिलने के लिए गया, जो कि हाउसकीपर का काम किया करती थीं…

वह बहुत ही ज्यादा दुखी था, उसने माँ को अपना सारा दुखड़ा सुनाया और खूब रोया. उसने यह भी कसम खाई कि यदि एक और दिन उसे उस स्टोर में काम करना पड़ा तो वह मर जाएगा.  फिर उसने अपने पुराने स्कूल टीचर को एक लम्बा और दुःख भरा पत्र लिखा..  उस पत्र में उसने अपने दिल टूटने वाली बात का जिक्र किया था और लिखा था- “गुरूजी अब मैं और जीना नहीं चाहता “

जब उनके गुरु ने पत्र पढ़ा तो वे सारी बातें समझ गये और जवाब में उन्होंने उसकी तारीफ़ की और उसे आश्वस्त किया कि वह सचमुच बहुत बुद्धिमान है और अपनी बेहतर जिन्दगी का हक़दार भी है… उन्होंने उसे स्कूल में टीचर का काम देने के लिए इन्वाईट किया..

टीचर की इस प्रशंसा ने उस बच्चे का भविष्य पूरी तरह से बदल दिया और अंग्रेजी के साहित्य  के इतिहास पर भी गहरा प्रभाव डाला…

बाद में इसी नवयुवक ने ढेरों बेस्ट सेलिंग किताबें लिखीं और अपनी कलम की दम पर लाखों-करोड़ों डॉलर कमाए. आपने शायद इनका भी नाम सूना होगा. इनका नाम था एच.जी. वेल्स…

दोस्तों, किसी की दिल खोलकर तारीफ़ करना, उसके काम की प्रशंसा करना, उसे यह बताना कि वह अपने काम में हमेशा बेहतर करता जा रहा है, उसकी सफलता को दोगुनी करने के लिए एक बहुत बड़ा कदम है..

मैंने इसे अपनी असल जिन्दगी में भी महसूस किया है और आप भी कर रहे होंगे… आज जब मैं अपने ब्लॉग के लिए लोगों के कमेंट्स पढ़ता हूँ, उनके मेल देखता हूँ और दिल से निकल रही उनकी दुआएं देखता हूँ जो दिल खोलकर मेरे ब्लॉग की प्रशंसा करते हैं…तो उस समय मुझे बहुत ही ज्यादा ख़ुशी होती है ऐसा लगता है जैसे मेरा प्रयास सार्थक हो गया न… और मैं दूसरों से ज्यादा प्रशंसा हासिल करने के लिए और भी ज्यादा मेहनत करने में जुट जाता हूँ…

बहुत से लोग ऐसे  हैं जो मेरे ब्लॉग की बहुत बुराई भी करते हैं, हालांकि मैं उनके दिल में भी जगह बनाने के लिए प्रयासरत हूँ और उम्मीद करता हूँ कि वो भी एक दिन मेरे ब्लॉग की दिल से प्रशंसा करें…

मैं लिखने के लिए बहुत मेहनत करता हूँ, बावजूद इसके लोग सीधे मुंह पर मेरे आर्टिकल की बुराई करते हैं, जिससे थोड़ी निराशा जरूर होती है लेकिन जब 95% लोग खुलकर दिल से प्रशंसा करते हैं तो इसका एक अलग ही आनन्द होता है जिसे मैं बयाँ नहीं कर सकता… और मेरे लिखने की लगन में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी होती है और मैं पूरे जोश के साथ फिर से लिखना शुरू कर देता हूँ और यह सिर्फ इसलिए क्योंकि लोग मेरे ब्लॉग की दिल खोलकर प्रशंसा करते हैं और इतना काफी है मेरे ब्लॉग को आगे ले जाने के लिए…. उम्मीद करता हूँ कि आप उन 95% लोगों में शामिल होंगे और यदि आप उन 5% लोगों में से एक होंगे तो जल्दी ही मैं आपके मुंह से भी मेरे ब्लोग्स के लिये खुलकर दिल से की गयी  प्रशंसा सुनना पसंद करूँगा…

 

थोड़े से सुधार की भी तारीफ़ करें और

हर सुधार पर तारीफ करें.

“दिल खोलकर तारीफ़ करें और

मुक्त कंठ से सराहना करें…”

 

याद रखिये प्रशंसा ही वह माध्यम है जिससे सफलता के लिए लोगों को प्रेरित किया जा सकता है…  इसलिए अपनी बातों से दूसरों को कमजोर मत कीजिये…अपनी बातों को ताकत बनाएं जिससे आप लोगों को प्रेरित कर सकें और वह सिर्फ आपके किये गये प्रशंसा से ही संभव है….

                                                                                           धन्यवाद !

यह आर्टिकल How to Win Friends and Influence People किताब से प्रेरित है जिसके लेखक Dale Carnegie हैं…

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