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दिल और इंजन Moral Story in Hindi

शहर रामपुर के मुख्य मार्केट में एक बड़ा-सा गैरेज था, गैरेज का मालिक बहुत ही मेहनती था और अपनी मेहनत से उसने गैरेज को इतना बड़ा बनाया था, उसके हजारों ग्राहक थे, यह कहना गलत नहीं होगा कि उस शहर में सबसे ज्यादा मुनाफ़ा कमाने वाला उस गैरेज का मालिक था.

उस गैरेज के मालिक में बस एक कमी थी, वैसे वह बहुत अच्छा आदमी था लेकिन वो सिर्फ अपने ही काम को बड़ा समझता था और दूसरों के काम को छोटा!

एक सुबह एक हार्ट सर्जन की गाड़ी उसके गैरेज में आई, डॉक्टर भी उस गाड़ी में मौजूद थे और उन्हें उसी शहर में एक हार्ट का ऑपरेशन करने के लिए बुलाया गया था.

जब गैरेज के मालिक को इस बात का पता चला कि एक हार्ट सर्जन अपनी गाड़ी लेकर उसके गैरेज में आया हुआ था तो वह दौड़ता हुआ उस सर्जन के पास पहुंचा और उनसे बातें करना लगा..

बातों-बातों में ही उसने हार्ट सर्जन से कहा कि ‘हम दोनों एक जैसे ही काम करते हैं, साथ ही  आपके काम और मेरे काम में भिन्नता नहीं है’    ये बात सुनते ही सर्जन  हैरानी से बोला  -मैं आपकी बातें नहीं समझ पा रहा हूँ, मुझे बताएं कैसे?

जवाब में गैरेज मालिक बोला- देखिये! ये इंजन कार का दिल है, मैं हमेशा की तरह इसे चेक करता हूँ कि यह कैसे चल रही है ! मैं इसे खोलता हूँ, वाल्ट्स फिट करता हूँ, इसे सही करता हूँ और अंत में इसे वापिस से जोड़ देता हूँ .. एक तरह से देखा जाए तो दिल भी इंसान के शरीर का इंजन ही तो है, इसलिए आप भी मेरे जैसा ही तो काम करते हैं ! क्यों? ठीक कह रहा हूँ न मैं?

इस बात पर सर्जन ने हामी भरी ..

एक बार फिर गैरेज का मालिक सर्जन को खीजते हुए पूछा – ये बात तो समझ आ गयी कि हम दोनों के काम एक जैसे ही हैं लेकिन बावजूद इसके आपको मुझसे कई गुना ज्यादा पैसे क्यों मिलते हैं?

इस बार सर्जन ने गैरेज मालिक को मुस्कुराते हुए जवाब दिया- सर ! आप जो काम कर रहे हैं उसे एक बार चालु इंजन पर करके देखिये.. यकीनन आप समझ जायेंगे..

गैरेज  मालिक निरुत्तर था और उसे अपनी गलतियाँ समझ आ चुकी थीं…

दोस्तों इस छोटी-सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर काम का अपना एक महत्व होता है, कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता इसलिए किसी भी काम को कभी भी छोटा मत समझिए.. अपनी-अपनी जगह सब सही हैं.. और अपना काम अच्छे से कर रहे हैं इसलिए कभी भी दूसरों के काम को छोटा बनाने के लिए या छोटा बोलने के लिए,  खुद के काम को बड़ा न बनाएँ या बड़ा न बोलें..

धन्यवाद!

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