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बच्चे बिगड़ैल क्यों बनते हैं? What Makes a Child Delinquent? | Hindi

प्रिय नागरिकों, तुम अपने बच्चों की देखभाल में इतना कम ध्यान क्यों देते हो, और दौलत पाने के लिए पत्थरों को तराशने में इतना ज्यादा समय क्यों देते हो, जबकि एक दिन यह सब बच्चों के लिए ही छोड़ जाना है…

                        –सुकरात.

यह पोस्ट “शिव खेड़ा जी की किताब You can win के हिंदी अनुवाद जीत आपकी” से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने बताया है कि आखिर एक बच्चा बिगड़ैल क्यों बनता है.

आइये जानते हैं कि बच्चे बिगड़ैल क्यों बनते हैं –

 

 Parenting के लिए एक Short Moral Hindi Story

एक डकैती के मुलज़िम को सजा देते समय जज ने उससे पूछा कि क्या उसे कुछ कहना है? उस आदमी ने जवाब दिया, “जी हुजुर. मेहरबानी करके मेरे माँ-बाप को भी सज़ा दीजिये…”

जज ने पूछा, “क्यों?”

कैदी ने जवाब दिया, “जब मैं छोटा बच्चा था, तो मैंने स्कूल से पेन्सिल चुराई. मेरे माँ-बाप ने यह जानने के बावजूद मुझे कुछ नहीं कहा. उसके बाद मैंने एक पेन चुराई. उन्होंने उस वाकये को भी जान बुझकर नज़रअंदाज़ कर दिया. उसके बाद मैं स्कूल और पड़ोसियों के घरों से एक के बाद एक चीजें चुराता रहा और यही चोरी एक दिन मेरी आदत बन गयी…

मेरे माँ-बाप को ये सारी बातें मालूम थीं, पर उन्होंने मुझे एक शब्द भी नहीं कहा, इसलिए मेरे साथ उन्हें भी जेल जाना चाहिए…”

Friends, वह कैदी सही कह रहा था.. हाँलाकि इन बातों से वह अपनी जिम्मेदारियों से बरी नहीं होता, पर सवाल यह पैदा होता है कि क्या माँ-बाप ने सही काम किया ? जाहिर है कि ‘नहीं..’

दोस्तों Parenting एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, और बच्चों के बिगड़ने में माँ-बाप का ही अहम रोल होता है.. और यह भी शत प्रतिशत सच है कि बच्चों के बनने में भी माँ-बाप का ही अहम रोल रहता है.. अब यह Parents की ज़िम्मेदारी है कि वह इसके लिए कौन-सा रोल निभाना चाहेंगे…

  बच्चे वही सीखते हैं जो जीते हैं

अगर बच्चा आलोचना के माहौल में रहता है तो वह निंदा करना सीखते है.

अगर बच्चा प्रशंसा के माहौल में रहता है तो तारीफ करना सीखता है.

अगर बच्चा लड़ने के माहौल में रहता है तो झगड़ना सीखता है.

अगर बच्चा सहनशीलता के माहौल में रहता है तो धैर्य सीखता है.

अगर बच्चा बेहुदे और खिल्ली उड़ाने वाले माहौल में रहता है तो वह संकोच करना सीखता है.

अगर बच्चा प्रोत्साहन वाले माहौल में रहता है तो आत्मविश्वास सीखता है.

अगर बच्चा शर्मिंदगी के माहौल में रहता है तो वह ख़ुद को दोषी मानना सीखता है.

अगर बच्चा समर्थन वाले माहौल में रहता है तो वह खुद को पसंद करना सीखता है.

अगर बच्चा न्यायसंगत माहौल में रहता है तो इन्साफ करना सीखता है.

अगर बच्चा सुरक्षा के माहौल में रहता है तो वह भरोसा करना सीखता है.

अगर बच्चा सहमति और दोस्ती के माहौल में रहता है तो वह दुनिया में प्यार ढूंढ लेना सीखता है…

 

Thanks!

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