Contents
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे… । ।
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है …
बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..
शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है…
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है ….
तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है । ।
मैं सागर से भी गहरा हूँ.. मैं सागर से भी गहरा हूँ…
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।
चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..
अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।
इस वेबसाइट पर प्रकाशित सभी प्रेरणादायक लेखों को इस लिंक पर क्लिक करके जरूर पढ़ें
श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर एक प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाली हिंदी कविता…
—————
यदि आप लिखने के शौक़ीन हैं और अपने स्वयं की ब्लॉग/वेबसाइट हमसे बनवाना चाहते हैं और अपने लेखों के माध्यम से लाखों लोगों तक जुड़ना चाहते हैं तो आज ही अपनी वेबसाइट हमसे बनवाएं। वेबसाइट बनवाने के लिए हमें +91-9644772226 (10:00 AM-5:00 PM) पर कॉल करें अथवा www.infowt.com पर विजिट करें।
धन्यवाद !
jabardast poem hai
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से,
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे… । ।
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मिटने वाला मैं नाम नहीं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है ….
तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है । ।
मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।
मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।
चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..
अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तब तपकर सोना बनूंगा मैं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।
Please mail me the poem tum mujhe kab tak rokoge. At sumitlalwani66@gmail.com
बहोत बढ़ियाँI
Excellent Bro🙏
inspirational kavita aise hi kavitaye share karte rahiye
Plz hame mail kre ap
Choose writer of this poem??
Who is the writer of this poem.
bahut hi umda joshbhar kavy hain !
iske rachayita kaun hain?
Who is the poet of the poem ?
Tum mujhe kab tak rokoge
Very inspiring!
Who is the writer/poet of this poem?
It is being credited to amitabh bachchan, modi, and some others. However, it seems to have appeared first as a contribution bhi one Vikas Bansal. I wish this could be ascertained for good.
Me likhti hu poems……
🙏
Very touchy indeed.
Arjun ka beta Abhimanyu
Aise hi tap se aya tha.
Surya putra Karna ne bhi
Mara par sheesh navaya tha.
Janaa to ik din sabko hai
Kursi se prem nahi karna.
He Karna kabhi bhi Duryoddha
ka tum sangh nahi dena.
Ek ma ka nabalig balak
Jab yudh me takkar leta hai.
Dushman ke dharti hilti hai
Jag me bhi kampan hota hai.
Jis ma ka lal nahi darta
Uska koi antt nahi kar sakta.🙏
Nice heart toching poem
Is it written by Narendra Modi ji ?
तनवी गाज़ी इस कविता का लेखक है।
इंटरनेट में अमिताभ बच्चन नरेन्द्र मोदी आदि नामों से चल रहा है