हरिवंश राय बच्चन की 2 प्रेरणादायक कविताएँ

अग्निपथ – हरीवंशराय बच्चन

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

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बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर – हरिवंशराय बच्चन

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर ।
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है ।।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा।
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है।
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है।।
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्योंकि!
एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले ।।

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली।
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे ।।
सोचा था घर बना कर बैठूँगा सुकून से,
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला ।।
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब।
बचपन वाला ‘इतवार’ अब नहीं आता ।।
शौक तो माँ-बाप के पैसों से पूरे होते हैं।
अपने पैसों से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं ।।
जीवन की भाग-दौड़ में।
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है ।।
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,
और;
आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है ।
कितने दूर निकल गए,
रिश्तों को निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते ।।

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत हैं।
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते ।।
खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ।
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ ।
मालूम है कोई मोल नहीं मेरा,
फिर भी,
कुछ अनमोल लोगों से
रिश्ता रखता हूँ ।

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रुके न तू, थके न तू – कवि प्रसून जोशी

धरा हिला गगन गुंजा

नदी बहा पवन चला

विजय तेरी हो जय तेरी

ज्योति सी जला जला

भुजा भुजा फड़क फड़क

रक्त में धड़क धड़क

धनुष उठा प्रहार कर

तू सबसे पहले वार कर

अग्नि सा धधक धधक

हिरण सा सजग सजग

सिंह सी दहाड़ कर

शंख सी पुकार कर

रुके न तू थके न तू

झुके न तू थमे न तू

सदा चले रुके न तू

रुके न तू झुके न तू

रचयिता: कवि प्रसून जोशी


 

रुके ने तू झुके न तू के रचयिता कवि प्रसून जोशी जी हैं. Prasoon Joshi, a writer poet and Padamshri awardee is the original creator of this poem which he has written many years ago.

हमारे द्वारा इस पोस्ट को 29 May 2021 को अपडेट किया जा रहा है. रुके न तू झुके ने तू के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जी नहीं हैं, इसको प्रकाशित करने में हमसे त्रुटि हुई थी इसके लिए हम इनके रचयिता प्रसून जोशी जी से क्षमा चाहते हैं.

Amitabh Bachchan Ji tweeted Ruke Na Tu, dated  5th August 2020 at 10:45 PM, crediting the poem to his Late father, Harivansh Rai Bachchan Ji.

However, he later clarified with his following tweet, 6th August 2020 at 10:35 AM, that this was a mistake and further gave the correct credit to  the poet Prasoon Joshi.

 

हरिवंश राय बच्चन जी और प्रसून जोशी जी की ये कविताएँ जिंदगी बदलने वाली हैं । आइये उनकी इन कविताओं से हम सब भी प्रेरणा लें और जीवन में आगे बढ़ें ।

धन्यवाद 🙂

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