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अहंकार | Inspirational Article on Ego in Hindi

Inspirational Article on Ego in Hindi

आमिर खान ने गजनी मूवी में एक बहुत अच्छी बात कही है, “मैं कर सकता हूँ, नहीं… ये मेरा घमंड नहीं मेरा विश्वास है। विश्वास और घमंड में बहुत कम फ़र्क है। मैं कर सकता हूँ, ये मेरा विश्वास है। सिर्फ मैं ही कर सकता हूँ, ये मेरा घमंड। विश्वास की हमें जरूरत है इसे अपने पास रखिए, और घमंड अगर ऑफिस के दरवाजे के बाहर छोड़कर आएँगे तो मेहरबानी होगी।”

इस दुनिया में ज्यादातर लोग अपने अहंकार के कारण ही बर्बाद हो जाते हैं। वे विश्वास या भरोसे से ज्यादा अपने Ego को महत्व देते हैं। आदमी का अहम और वहम दोनों उसे सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने नहीं देता। क्योंकि एक अहंकारी आदमी की दुनिया उसे से शुरू होती है और अंत में उसी पर ख़त्म हो जाती है।

अक्सर मेरी माँ मुझसे कहा करती हैं, “जिंदगी में कितने भी बड़े मुकाम पर पहुँच जाओ, कितने भी बड़े आदमी क्यों न बन जाओ, मेरी एक बात हमेशा याद रखना, बड़ी सफलताओं को अपने दिमाग में घर करने मत देना, कभी भी घमंड मत करना, क्योंकि घमंड का घर हमेशा खाली रहता है।” घमंडी इंसान के पास कोई भी व्यक्ति रहना पसंद नहीं करता, क्योंकि एक अहंकारी व्यक्ति दूसरों को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करता है।

व्यक्ति को आम के फलों से लदे पेड़ की तरह होना चाहिए, जिसकी टहनी फलों से लदी व झुकी रहती है। जितने फल लगते जाते हैं वह उतना ही झुकती जाती है। बड़ी-बड़ी सफलताएँ मिलने का वास्तविक अर्थ वैसा ही है, हमें लदे हुए फलों की टहनियों की तरह विनम्रता से झुकना होगा, हम खुद पर गर्व कर सकते हैं लेकिन घमंड नहीं।

गर्व और अहंकार में अंतर

आप कड़ी मेहनत करते हैं, और जब आप सफल होते हैं, तब आपके अन्दर एक विनम्र संतुष्टि की भावना पैदा होती है इसे ही गर्व कहा जाता है। लेकिन जब आपकी सफलता आपके दिमाग पर चढ़ जाती है तब यह अहंकार का रूप ले लेती है। गर्व जरूरी है क्योंकि इससे आपका ह्रदय विशाल होता है लेकिन अहंकार नहीं, क्योंकि इससे आपका दिमाग चढ़ता जाता है, दिमाग चढ़ने से आपका ही सिर दर्द बढ़ेगा लेकिन ‘गर्व’ से आपका दिल बड़ा बनेगा, और आपका दिल जितना बड़ा होगा आपके अन्दर विनम्रता उतनी ही ज्यादा होगी।

आप सब कुछ नहीं जानते!

हममें से ज्यादातर लोगों को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं, उन्हें किसी से सीखने की जरूरत नहीं है, हाँ ये हो सकता है कि आप बहुत कुछ जानते हों लेकिन जिस दिन आप कहते हैं कि आप सब कुछ जानते हैं, उस दिन आप खुद को एक अहंकारी व्यक्ति कह सकते हैं। आप बहुत कुछ जानते हैं लेकिन सब कुछ नहीं। अहंकारी व्यक्ति अपनी लाइफ में ज्यादा लम्बा सफ़र तय नहीं कर सकता क्योंकि उसका नजरिया ‘मैं सब कुछ जानता हूँ’ वाला होता है।

महापंडित महाविद्वान रावण

रावण इस धरती के सबसे बड़े महाविद्वान में से एक हैं। उनकी जैसी बुद्धि इस संसार में किसी के पास नहीं है। हमारे देश में हर साल दशहरे पर उन्हें याद किया जाता, इतने बड़े विद्वान, साहसी, पराक्रमी राजा के पुतले को हर साल क्यों जलाया जाता है, क्या श्रीराम ने रावण को मारा था इसलिए ही हम हर साल दशहरा मनाते हैं! श्रीराम ने रावण के अहंकार को खत्म किया था। रावण को स्वयं पर बहुत घमंड था कि उनसे पराक्रमी कोई दूसरा नहीं, और उन्हें कोई नहीं मार सकता। रावण का अहंकार ही उनके विनाश का कारण बना। उनके अहंकार ने ही उन्हें मृत्यु दिलाई। यदि हम रावण के बारे में गंभीरता से विचार करें तो उनके जीवन से जो सबसे बड़ी बात हम सीख सकते हैं, वह है – जो व्यक्ति घमंड करता है, जो व्यक्ति अहंकारी है उसे पास कुछ भी नहीं बचता, और एक दिन सब खत्म हो जाता है और वह भी बर्बाद हो जाता है।

अहंकार को कैसे खत्म करें

हर व्यक्ति के अन्दर किसी न किसी तरह का घमंड होता ही है, यह मनुष्य का एक स्वभाव है। जब हम खुद को जमीन से जुड़ा हुआ पाते हैं, तो हमारे नीचे गिरने का सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन जब सफल होने पर हम खुद को आसमान में ले जाते हैं, अपने दिमाग को चढ़ाने लगते हैं, तब हमें आसमान से नीचे गिरने में देर नहीं लगेगी। ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें कि खुद को इस जमीन से ही जोड़े रखें, बड़ी-बड़ी सफलताएँ प्राप्त करने के बाद भी खुद को वैसा ही रखें जैसे आप पहले थे। इसका मतलब यह नहीं है कि आप वैसी ही जिंदगी जीयें, इसका मतलब है कि आप हवा में नहीं उड़ रहे, आप वैसे ही विनम्र हैं, जैसे आम से लदी एक डाली होती है।

अहंकार को अपने दिमाग में घर करने मत दें नहीं तो आपने जितनी जल्दी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ी हैं, आपको वहां से नीचे उतरने में देर नहीं लगेगी।

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धन्यवाद 🙂

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