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आलोचना न करें – Don’t Criticize

आलोचना न करें Don’t Criticize

जब कोई व्यक्ति सफल होने लगता है, तो उसके करीबी उससे जलने लगते हैं, जीतता हुआ देखकर उसे पसंद भी नहीं किया जाता। क्योंकि आपके करीबी जब सफल नहीं हो पाते, तो उनके पास बातचीत करने या निशाना बनाने का कोई दूसरा मुद्दा नहीं होता, इसलिए वो सफल लोगों को ही निशाना बनाते हैं। आलोचना भी दो तरह की होती हैं, सकारात्मक आलोचना और नकारात्मक आलोचना।

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नकारात्मक आलोचना हमारे अन्दर दो वजहों के कारण पैदा होती है-

जलन – जब कोई व्यक्ति बहुत सक्सेसफुल हो जाता है, तब उसके करीबी इसलिए जलते हैं क्योंकि वो खुद को आपकी जगह देखना चाहते हैं। आपको ऊँचाइयों पर पहुँचता देखकर वह आपकी तारीफ नहीं करता बल्कि वह आपकी आलोचना करता है क्योंकि वो उस ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच सका जहाँ आप पहुँच गये। याद रखिये, जिस पेड़ पर सबसे ज्यादा आम लगे होते हैं उसी को हम पत्थर मारते हैं। जलन के कारण जब कोई व्यक्ति आपकी आलोचना करता है, तब इसे आप अपनी छिपी हुई तारीफ़ ही समझें। वो खुद को, आपकी जगह नहीं देख पा रहा इसलिए दुखी होते हुए आपके बारे में निःशुल्क गलत प्रचार कर रहा है। इन सब बातों को आप कभी माइंड से मत लें और जैसे आगे बढ़ रहे हैं वैसे ही बढ़ते जाएं। एक असफल व्यक्ति इसलिए सफल नहीं हो पाता क्योंकि सक्सेसफुल आदमी से सीखने की बजाय वो जलता है।

अज्ञानता – बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जो बिना जाने किसी के बारे में भी गलत कमेन्ट कर देते हैं, पीठ पीछे कुछ भी बोल देते हैं। जब अज्ञानता के कारण किसी की आलोचना की जाती है तब उसे आसानी से बंद किया या फिर सुधारा जा सकता है।

सकारात्मक आलोचना

यह किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि उसकी गलतियाँ गिनाने और उन्हें सुधारने के इरादे से की जाती है। हमें किसी व्यक्ति की आलोचना नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम इससे उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचा सकते हैं बल्कि इसके बजाय उसके व्यवहार की आलोचना की जा सकती है। जब आप किसी की आलोचना करते हैं और उस वक्त आपको बहुत मजा आ रहा होता है, तब समझ जाएँ कि आप सामने वाले के दिल को चोट पहुंचा रहे हैं, आलोचना करने में आलोचक को जब मजा आने लगे तब उसे आलोचना रोक देनी चाहिए। जब कोई हमारी सही आलोचना करता है तो यह हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इसे हम एक अच्छी सलाह के रूप में कबूल कर सकते हैं। इस दुनिया में महान से महान व्यक्ति की भी आलोचना हुई है, इससे हमें डरने, या घबराने की जरूरत नहीं है।

कई बार जो लोग आपकी मदद कर रहे होते हैं, आपको सफल होता देख अपने हाथ खींच लेते हैं और वही लोग आपके दुश्मन बन जाते हैं, व्यवहार में आया यह अचानक बदलाव जलन के कारण होता है।

आलोचना करने से सम्बन्धित की महत्वपूर्ण बातें –

आलोचना अकेले में करिए

आलोचना हमेशा अकेले में कीजिए, क्योंकि दूसरों के सामने आलोचना करना अपमानजनक साबित हो सकता है। अकेले में आलोचना करने से दोस्ती की भावनाएं बरक़रार रहती हैं।

व्यक्ति की नहीं, काम की आलोचना करें

आप जब भी किसी व्यक्ति की आलोचना करते हैं तब आप उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रहे होते हैं, लेकिन उसके काम की आलोचना करके आप उसे बता रहे होते हैं कि वह अपने काम में कैसे सुधार कर सकता है और ज्यादा आगे बढ़ सकता है।

गलतियाँ सुधारने के फायदे व नुकसान

आप व्यक्ति को उसकी गलतियाँ गिना सकते हैं, उन्हें सुधारने के लिए कह सकते हैं और यदि वे गलतियाँ नहीं सुधारते व गलतियाँ करते जाते हैं तब आप उन्हें उसके नुकसान से वाकिफ करा सकते हैं।

बात का बतंगड न बनाएं

कई बार आलोचना करते समय हम पुरानी बातों को खोदकर निकाल लेते हैं जिससे मन मुटाव होने लगता है और छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई तक की नौबत आ जाती है । इसलिए आलोचना करते समय अपनी निजी नाराजगी कभी जाहिर मत कीजिए।

जल्दबाजी न दिखाएँ

आलोचना करने में लोग सबसे आगे रहते हैं, और इस काम में जल्दबाजी दिखाते हैं। सबसे पहले किसी बात की जड़ तक पहुँचिये, उसके असलियत को जानिए। बिना सोचे समझे हम अपनी राय रख सकते हैं लेकिन गलत तथ्यों के Base पर ही आप राय बनाने का हक़ नहीं रखते।

किसी के दिल को ठेस न पहुंचाएं

आपका उद्देश्य किसी के दिल को ठेस पहुँचाना नहीं होना चाहिए। अपनी बात को पॉजिटिव तरीके से ख़त्म करें।

शाबाशी दें

जब किसी की आलोचना की जाती है और वह इससे अपनी गलतियों को सुधारने में कामयाब होता है और सही कदम उठाते हुए आगे बढ़ता है तो ऐसे व्यक्ति को शाबाशी जरूर दें।

दोस्तों, हमारे साथ सबसे बड़ी परेशानी यह आती है कि जब कोई हमारी झूठी तारीफ करता है तब हम ख़ुशी से झूम उठते हैं लेकिन कोई सही आलोचना करता है तब नाराज हो जाते हैं । झूठी तारीफ़ सुनकर हम खुद में कुछ भी अच्छा बदलाव नहीं ला सकते भले ही हम बर्बाद जरूर हो सकते हैं। हमें सही आलोचना स्वीकार करना होगा, हमारे अन्दर जितनी भी कमियाँ हैं उन्हें सुधारना होगा । हम सकारात्मक आलोचना को स्वीकार करके खुद को बेहतर बना सकते हैं ।

 

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धन्यवाद 🙂

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