दोस्तों, हमारी लाइफ में Extra Word का एक बहुत ही बड़ा रोल है. यदि हमें जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना है तो हमें अपनी लाइफ को कुछ एक्सट्रा देना होगा. आपने एक चीज जरूर नोटिस की होगी, आजकल किसी भी प्रोडक्ट में आपको कुछ एक्सट्रा दिया जा रहा है, मतलब यदि आप कोई तेल खरीदते हैं तो उसके साथ आपको एक पावडर मुफ्त मिलता है, साबुन के साथ कंघी, टी.वी. के साथ मोबाइल, और नए कार खरीदने पर बाहर घूमने या छुट्टी मनाने का मौका.. मतलब आजकल बड़ी-से-बड़ी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट की बिक्री के लिए उसके साथ कुछ न कुछ Extra जरूर देती हैं और यदि आप इसका सर्वे करेंगे तो आप पायेंगे कि ज्यादातर आजकल वही प्रोडक्ट बिकतीं हैं जो कुछ एक्सट्रा प्रोडक्ट भी उसके साथ मुफ्त देती हैं..
हमारी लाइफ भी बिलकुल इसी तरह की है, बिना Extra Qualities के हमारा मोल भी कम होता जा रहा है, इसके लिए बहुत ही जरूरी है कि हम अपनी लाइफ को कुछ एक्सट्रा दें..
हमारी पूरी लाइफ, पैदा होने से लेकर मरने तक Competition की तरह चलती जाती है.. यहाँ हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है. और इस प्रतियोगिता में वही Winner बनता है जो सबसे सक्षम खिलाडी होता है.. और आपकी लाइफ में वही सक्षम खिलाडी है जो कुछ Extra देने या Extra करने के लिए तैयार रहता है. यदि आप एक Employee हैं तो यह सोच सकते हैं कि मैं ऐसा क्या Extra करूँ जिससे मुझे Promotion मिले.. यदि आप किसी बिजनेस के Founder हैं तो आप यह सोच सकते हैं कि मैं ऐसा क्या Extra दूँ जिससे मेरे ग्राहकों में बढोत्तरी हो.. हर एक कार्य को पूरा करते हुए यह भी जरूर सोचिये कि इसमें और कौन से विचारों को शामिल किया जा सकता है!
थोडा-सा Extra Interest, थोडा-सा Extra Idea, थोडा-सा Extra Work ही इस दुनिया में मनुष्यों के बीच फर्क पैदा करते हैं…
बस थोडा-सा Extra दीजिए और इसके बदले आपको क्या मिलेगा आप जल्दी ही जान जायेंगे..
थोडा-सा Extra प्यार देकर आप दूसरों को अपना बना सकते हैं, थोडा-सा Extra Idea और Extra मेहनत के साथ आप अधिक धन कमा सकते हैं.. बस दूसरों के मुकाबले थोड़ी-सी Extra पढाई करके आप सामान्य से सफल छात्र बन सकते हैं……
यदि आप अपने ग्राहकों को Extra Features, Extra Service दे रहे हैं तो वो आपसे हेमशा लंबे समय तक जुड़े रहेंगे और अपनी तरफ से नए Customer भी Refer करेंगे…
मोहनसिंह ओबोरॉय की लाइफ से जुडी इस कहानी को देखते हैं जो हमें कुछ Extra देने की सीख देता है
मोहनसिंह ओबोरॉय हमेशा अपनी लाइफ में कुछ एक्सट्रा देने में विश्वास करते थे.. उनकी फिलोसफी थी “बस एक कदम और…” जब वे युवा थे तो उनकी सबसे बड़ी कोशिश थी कि वे सरकारी नौकरी करें लेकिन उनकी सारी कोशिशें व्यर्थ चली गयीं और वो एक दिन शिमला के एक होटल में नौकरी की तलाश में जा पहुंचे.
मोहनसिंह ओबोरॉय जी ने होटल के मैनेजर से कहा- “सर मुझे नौकरी की आवश्यकता है, आप मुझे जो भी काम देंगे मैं उसे ईमानदारी से करने के लिए तैयार हूँ”
सौभाग्वश उन्हें उस होटल में एक क्लर्क की नौकरी मिली, जिसका कार्य था कि मोहनसिंह ओबोरॉय जी को सुबह-सुबह होटल के ग्राहकों के कमरों में गर्म पानी उपलब्ध कराना है. उन्हें यह भी देखना था कि हीटर को कोयले की गर्म सप्लाई अच्छी तरह मिलती रहे. उनके इस कार्य का समय सुबह 4 बजे से शुरू होता था लेकिन वे लगभग 3 बजे से ही कार्य पर पहुंच जाते थे और बारीकी से सब जांचने के बाद गर्म पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करते थे..
इस एक अतिरिक्त कार्य से न तो उनकी कभी तनख्वाह बढती थी और न ही वे नाम कमाने के उद्देश्य से ऐसा करते थे लेकिन पूर्ण समर्पण की भावना ही उनकी सबसे बड़ी आदत थी.. इस समर्पण के ही आदत ने मोहनसिंह ओबोरॉय जी का एक अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया..उनके बारे में आप विकिपीडिया पर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं..
दोस्तों यदि आपको आम से खास बनना है तो आप सब भी आज से बस थोडा-सा एक्सट्रा की आदत डालिए.. यकीन मानिए आपको वो सब मिलेगा जिसकी आप ख्वाहिश रखते हैं. आज से ही खुद से ईमानदारीपूर्वक यह सवाल करें कि आज आपने थोडा-सा एक्सट्रा के लिए क्या किया? यदि आप जीवन में बड़े लेवल तक पहुंचना चाहते हैं तो थोडा-सा एक्सट्रा देने के लिए हमेशा तैयार रहिये नहीं तो आपको सब आम बनकर ही जीता हुआ देखेंगे…
बस थोडा-सा एक्सट्रा आपकी सफलता दोगुनी कर सकता है!
धन्यवाद!
Really a motivational article. .
Priyanka Pathak
http://dolafz.com/
kaafi inspirational post likhi hai aapne kiran ji
Very good story hai boss
nice, very motivational article,
dosto, extra word me hi sab kuch aa jata hain, kahate hain ki safal insan asafal logo se hamesha kuch alag aur kuch extra karte hain. esliye ve safal hote hain.