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ईमानदारी पर 4 प्रेरणादायक कहानियाँ

23rd Nov, 2018 Kiran Sahu 1

Contents

  • 1 Story on Honesty in Hindi
  • 2 मुर्ख गधा
  • 3 ईमानदार लकड़हारा
  • 4 जादुई छड़ी
  • 5 राजा का उत्तराधिकारी

Story on Honesty in Hindi

मुर्ख गधा

भोला एक व्यापारी था और उसके पास एक गधा था जिस पर वह नमक की बोरी लादकर शहर ले जाया करता था। 2 साल हो चुके थे, इस बीच भोला ने एक बात गौर की थी कि उसका गधा धीरे-धीरे बहुत आलसी होता जा रहा है। एक बार की बात है, भोला हमेशा की तरह गधे की पीठ पर नमक लादे उसके आगे चल रहा था, गधा धीरे-धीरे भोला के पीछे चलता जा रहा था। जैसे ही वह एक नदी के पुल पर पहुंचा, गधे ने नदी में छलांग लगा दी जिससे कि नमक की बोरी पानी में जा घुली। इससे भोला को बहुत नुकसान हुआ लेकिन इस बार उसका गधा बहुत खुश था क्योंकि उसे मेहनत नहीं करनी पड़ रही थी और वह अपने पीठ को खाली महसूस कर रहा था। यही सिलसिला 3-4 दिन चलता रहा। भोला नदी की पूल पर पहुँचता और गधा नदी में गिर जाता। एक दिन भोला ने गधे को सबक सिखाने की सोची, उसनें गधे की पीठ पर नमक के बोरी की जगह रूई से भरी बोरी लद दी। अब जैसा कि गधे का स्वभाव हो चूका था कि नदी पास आते ही उसे पानी में गिरना है। इस बार भी ठीक वैसा ही हुआ, भोला नदी के पास जब पहुंचा तो गधे ने छलांग लगा दी। लेकिन इस बार ठीक उलटा हुआ, गधे की पीठ और भी ज्यादा भारी होने लगी क्योंकि बोरी नमक की जगह रुई से भरी हुई थी। गधे को आज एक बड़ी सबक मिली थी।

शिक्षा – हमेशा ईमानदारी के साथ काम करें, आलस्य से दूर रहें।

ईमानदार लकड़हारा

एक गाँव में मोहन नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह गाँव के सबसे गरीब व्यक्ति में से एक था। उसके परिवार को दो वक्त का खाना भी इसी काम से मिल रही थी। एक दिन मोहन अपने पास के नदी किनारे लगे पेड़ को काट रहा था, तभी उसकी कुल्हाड़ी उस नदी में जा गिरी। मोहन पेड़ से उतरा ही था कि उसके सामने नदी की देवी सोने की कुल्हाड़ी लेकर उसके सामने खड़ी हो गयीं। देवी ने कहा, पुत्र! मैं नदी की देवी हूँ, तुम्हारी कुल्हाड़ी गिरने से तुम परेशान हो रहे थे इसलिए मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी लेकर आई हूँ। मोहन ने कहा, माता! क्षमा करें लेकिन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं है। नदी की देवी, इस बार चाँदी की कुल्हाड़ी लिए मोहन के पास आई, पर मोहन ने चाँदी की कुल्हाड़ी को भी लेने से इनकार करते हुए कहा कि वह भी उसकी कुल्हाड़ी नहीं है। इस बार नदी की देवी ने लोहे का कुल्हाड़ी जो मोहन के स्वयं का था वह उसे दिया और इस बार मोहन ने प्रसन्नता के साथ उस कुल्हाड़ी को स्वीकार करते हुए देवी को धन्यवाद कहा। नदी की देवी, मोहन की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न थी, इतना गरीब होने के पश्चात् भी मोहन ने लालच नहीं दिखाया, इस पर देवी ने मोहन को इनाम स्वरुप सोने और चाँदी से बनें दोनों कुल्हाड़ी पुरूस्कार के तौर पर दिए। ईमानदारी का पुरूस्कार पाकर मोहन आज बहुत खुश था।

शिक्षा- लालच न करें, ईमानदारी से अपना काम करते जाएँ जिंदगी आपको एक दिन पुरूस्कार देती है।

जादुई छड़ी

एक बड़े सेठ के यहाँ 10 नौकर काम किया करते थे। सेठ के दूकान पर आए दिन कुछ न कुछ सामान गायब हो जाता था और किसी को भी इस बात की खबर तक नहीं होती थी। सेठ जी परेशान थे क्योंकि बहुत बार कई कीमती सामान दूकान से गायब हो चुके थे। एक दिन सेठ ने सभी नौकरों को बुलाया और सबसे पूछताछ की व सबकी तलाशी भी हुई पर सभी नौकर खुद को ईमानदार ही बताते रहे, तलाशी में भी कुछ नहीं निकला। सेठ जी दूकान में हो रही चोरी से बहुत परेशान थे, उन्होंने अपने एक सम्बन्धी को बुलाया जो बहुत बुद्धिमान था और सारी घटना बताई। अगले दिन उस बुद्धिमान व्यक्ति को लेकर वे दूकान पहुँचे। बुद्धिमान व्यक्ति, 10 छड़ी अपने साथ लाये हुए था, और उन्हें सभी नौकरों को देते हुए बोला, यह एक जादुई छड़ी है। जो भी व्यक्ति चोर होगा, अगली सुबह उसकी छड़ी 3 इंच तक बढ़ जाएगी। आप सभी को सुबह छड़ी के साथ उपस्थित होना है।

अगली सुबह सभी नौकर छड़ी के साथ उपस्थित थे, बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी छड़ी की जांच की, जांच करते हुए उन्होंने पाया कि एक व्यक्ति की छड़ी 3 इंच कम है। उन्होंने सेठ के सामने चोरी करने वाले उस व्यक्ति को पेश किया जिसकी छड़ी 3 इंच कम थी। उस नौकर ने भी अपना गुनाह कबुल किया।

यदि वह व्यक्ति ईमानदार होता तो वह छड़ी के विकास को लेकर कभी नहीं डरता, उस नौकर ने पहले से ही अपनी छड़ी 3 इंच कम कर दी थी क्योंकि उसे डर था कि कहीं अगली सुबह उसकी छड़ी लम्बी न हो जाए।

शिक्षा – ईमानदार व्यक्ति को किसी बात का डर नहीं होता, वह रात में चैन की नींद ले सकता है और सिर उठाकर अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

राजा का उत्तराधिकारी

एक समय की बात है, एक राजा हुआ करता था जो बहुत बुढ़ा हो चूका था। राजा के तीन बेटे थे। वह चिंतित था कि उसके पुत्रों में कौन उत्तराधिकारी होना चाहिए। उसके लिए अपने तीन बेटों के बीच अगला राजा चुनना बहुत मुश्किल था क्योंकि वह उन सभी से बहुत प्यार करता था। एक दिन उसके मन में विचार आया, उसनें अपने तीनों बेटों को बुलाया और उनसे कहा, “मैं आपमें से प्रत्येक को एक बीज दे रहा हूँ, आप गमले में इसे लगायेंगे और जिसका पौधा सबसे अच्छा और खुबसूरत होगा उसे ही राजा चुना जाएगा।’

बेटों ने बीज लिया और वहां से चले गये। तीनों अब उसकी देखभाल में लग गये। वे समय-समय पर खाद और पानी देते रहते थे। कुछ महीनों के बाद, दो भाइयों के पास खूबसूरत फूलों और हरी पत्तियों के साथ गमलों पर सुन्दर पौधे नजर आ रहे थे लेकिन सबसे छोटे बेटे का गमला खाली था। हालांकि उसने अपने बीज और गमले की बहुत अच्छी देखभाल की लेकिन उसके गमले में कोई पौधे नहीं बढ़े। जब उसने देखा कि उनके भाइयों के पौधे बहुत सुंदर दिख रहे हैं तब वह बहुत दुखी और चिंतित हो गया कि वह अपने पिता को क्या दिखाएगा। एक दिन राजा ने सभी भाइयों को अपने पौधे दिखाने के लिए बुलाया।

“पिताजी देखो हमारे पौधे कितने सुंदर हैं”। उन बेटों ने कहा जिनके गमलों पर पौधे थे।

राजा ने सबसे छोटे बेटे से पूछा, “आपका पौधा कहां है? आपका गमला खाली है।” बेटे ने जवाब दिया, “पिताजी, मैं माफी चाहता हूं, मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन मेरे गमलों में पौधे नहीं बढ़े”।

राजा ने कहा, “नहीं! तुम्हें खेद नहीं होना चाहिए” क्योंकि मैंने जो बीज तुम सबको दिए थे वे उबले हुए बेकार बीज थे, उन बीजों की मदद से कोई पौधा उगाया नहीं जा सकता था.. तुम्हारे भाइयों ने मुझसे झूठ बोला। जब उन्होंने देखा कि उनके पौधे नहीं बढ़ रहे थे, उन्होंने अपने गमलों में अन्य बीज लगा दिए। उनके पौधे अन्य बीजों से हैं। लेकिन आप ईमानदार थे और आपने मुझे सच बताया । राजा के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक यह है कि वह ईमानदार होना चाहिए तो मेरे प्यारे बेटे, आप अगले राजा होंगे।”

शिक्षा – ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

 

ईमानदारी पर ये कहानियाँ आपको कैसी लगीं कृपया कमेन्ट के माध्यम से हमें जरूर बताएं अथवा हमें [email protected] पर मेल करें।

धन्यवाद 🙂

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Kiran Sahu

किरण साहू HamariSafalta.com के Founder हैं। हमारा मकसद सभी Readers तक Valuable Quality Content पहुँचाना है। "हमारी सफलता" का उद्देश्य आपकी Life में Positive Changes लाना है, और यह तभी संभव होगा जब आप बदलाव के लिए तैयार होंगे। मैं आपका दोस्त हूँ, आपकी तरह ही एक आम इंसान, मैं भी हारता हूँ, निराश होता हूँ, कई बार गिरता भी हूँ लेकिन कभी मैदान नहीं छोड़ता, क्योंकि उम्मीदें हमेशा जिंदा रहती हैं, डटा हुआ हूँ, अपने अनुभव आपके साथ Share करने के लिए। कृपया अपना सहयोग और ❤️ बनाये रखें ताकि हम पॉजिटिविटी Spread कर सकें।

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Comments

  1. dinesh says

    November 23, 2018 at 6:13 pm

    bahut hi gyanprad kahaniya hain.. thanks for sharing..

    Reply

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