असली हीरे की पहचान | Inspirational Story in Hindi
भंवरपूर के राजा अक्सर अपनी महल के बाहर दरबार लगाया करते थे, जहाँ वे अपनी प्रजा की बातों को गंभीरता से सुनते और उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया करते थे। एक दिन उस राज्य में एक व्यक्ति अपने हाथों में एक हीरा और एक कांच का टुकड़ा लेकर पहुंचा। देखने में कांच का वह टुकड़ा हीरे के समान ही प्रतीत हो रहा था, यह कहना गलत नहीं होगा कि कोई भी व्यक्ति दोनों को देखकर धोखा खा जाए और दोनों में अंतर ही न कर पाए। वह व्यक्ति राजदरबार में पहुंचा और उसनें भारी सभा में राजा को चुनौती देते हुए कहा, कि ‘राजन! मेरे एक हाथ में एक बहुमूल्य हीरा है और एक में कांच का टुकड़ा। मैं इन दोनों को इस मेज पर रख रहा हूँ, आपके इस राज्य में उपस्थित को व्यक्ति इन दोनों की पहचान कर दे कि इनमें कौन-सा हीरा है और कौन-सा कांच का टुकड़ा तब मैं यह बहुमूल्य हीरा आपकी तिजोरी का शोभा बढ़ा सकती है। मैं यह हीरा आपको भेंट करूंगा। लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि यदि आपने गलत चीज का चुनाव किया मतलब आपने कांच के टुकड़े को हीरा बताया तो हीरे का जितना मूल्य है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। मैं कई राज्यों में जाकर यह खेल, खेल चूका हूँ और आजतक मैं कभी हारा नहीं।’ राजा ने उस व्यक्ति की बात मान ली और अपने सभी मंत्रियों से कहा कि वे असली हीरे को पहचाने।

सभी मंत्री एक-एक करके उस मेज के पास पहुँचे जहाँ हीरा और कांच का टुकड़ा रखा हुआ था। दिखने में दोनों में कोई भी अंतर नहीं था। कोई भी मंत्री असली हीरे की पहचान नहीं कर पाया और उन सबके मन में यही डर था कि यदि वे कांच के टुकड़े को असली हीरा बता दें तब राजा को उस हीरे के मूल्य की राशि भुगतान करनी होगी। किसी को समझ नहीं आ रहा था क्या किया जाए। एक तरह से राजा की हार हो रही थी, राजा भी समझ नहीं पा रहा था। तभी राजदरबार में उपस्थित प्रजा समूह से एक आवाज आई, राजन! कृपया मुझे भी प्रयास करने दें। आवाज एक बूढ़े अंधे व्यक्ति की थी जो बचपन से नेत्रहीन था। सबको लगा कि इतनें बुद्धिमान मंत्रियों से कुछ नहीं हुआ तो एक बूढ़ा व्यक्ति क्या कर लेगा! लेकिन राजा के पास और कोई रास्ता भी नहीं था। बूढ़े व्यक्ति को सह सम्मान उस मेज के पास ले जाया गया। उसनें दोनों ही वस्तुओं को छुआ और एक झटके में बता दिया कि कौन-सा असली हीरा है और कौन बस कांच का टुकड़ा। बूढ़े अंधे व्यक्ति ने असली हीरे की पहचान कर ली। वह व्यक्ति भी चौक गया जो इस शर्त के साथ हीरा लेकर आया था। अब हीरे को तिजोरी में रखने की तैयारी शुरू होने लगी, बूढ़े बाबा की जय-जयकार होने लगी। इसी बीच राजा उस बूढ़े व्यक्ति के पास पहुँचे और उनसे पूछा कि आपने एक झटके में ही असली हीरे की पहचान कैसे कर ली?
बूढ़े बाबा बोले, राजन! मैं बचपन से अँधा हूँ, मुझे किसी की चमक तो पता नहीं चली लेकिन जब मैनें दोनों को छुआ तो इतनी धुप में भी हीरा बहुत ठंडा था और कांच का वह टुकड़ा धुप से तप रहा था और बहुत गरम था। आपके मंत्रियों ने बस दोनों की चमक देखी लेकिन उन्होंने असली हीरे का गुण नहीं देखा। असली हीरा हर परिस्थिति में ठंडा होता है। राजा को अपना उत्तर मिल चूका था।
दोस्तों, इस छोटी-सी प्रेरणादायक हिंदी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर व्यक्ति में दो तरह के गुण पाए जाते हैं, ठीक उस हीरे की तरह और कांच के उस टुकड़े की तरह। जो व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी गरम नहीं हुआ, ठंडा रहा वो अपनी लाइफ में हर वो चीज कर सकता है जो वह करना चाहता है लेकिन जो व्यक्ति कांच के टुकड़े की तरह गरम रहा तो उसका कोई मोल नहीं। बहुत सारे लोग गुस्सा करते हैं, आग-बबूले हो उठते हैं, चिल्लाते रहते हैं, ये वही गुण हैं जो कांच के उस टुकड़े में होता है और हीरा तो हर परिस्थिति में चमकता भी है और ठंडा रहता है। इसलिए अपने दिमाग को ठंडा रखिये, शांति से काम कीजिए। अपनें अन्दर के हीरे की पहचान आपको खुद करनी है और आपको हीरा बनना है न कि कांच का वह टुकड़ा जो सिर्फ हीरा जैसे दिखता है लेकिन हीरा नहीं! क्योंकि अब आप जानते हैं असली हीरे की पहचान।
कृपया इस Inspirational Hindi Story पर अपने विचार कमेन्ट के माध्यम से हम तक पहुँचाएँ अथवा हमें hamarisafalta@gmail.com पर मेल करें।
धन्यवाद 🙂
Nice story sir…
Thanks for sharing 🙂
Ek baar phir hamarisafalta par hamari safalta ke liye best inspirational story
बहुत ही अच्छा लगा इस पोस्ट को पढ़कर।
very inspirational story Sir thanks for sharing with us
NICE POST HAMARI SAFALTA
wah kya story hai
Kahani achchhi lagi thanks
बहुत ही बेहतरीन, जोश आ गया, आपकी कहाजी पढ़कर
beautiful story..Know More horror Stories
बुढा था बहुत चतुर उसने उस व्यापारी को बहुत अच्छा सबक सिखाया।
धन्यवाद ऐसे ज्ञानवर्धक कहानी के लिए।