असली विजेता हिंदी कहानी
गुरुकुल की परीक्षाएं ख़त्म हो चुकी थीं ! सभी छात्र आश्रम में एकत्रित होकर चर्चा कर रहे थे कि अब छुट्टी के बाद वे सभी घर पहुंचकर क्या-क्या करने वाले हैं । तभी अचानक से गुरूजी ने आश्रम के बाहर से आवाज़ दी और कहा कि सभी छात्र बाहर मैदान में एकत्रित हो जाएँ ।
सभी छात्र मन ही मन ये सोच रहे थे कि घर जाने से पहले, गुरूजी उन्हें कोई ख़ास तौफ़ा दे सकते हैं… सभी छात्र मैदान में इकठ्ठा हो गये ।
गुरूजी ने कहा- मेरे सभी प्रिय शिष्यों, घर जाने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें । उन्होंने एक शर्त रखते हुए कहा- आप सबको दौड़ में एक अंधेरी सुरंग को भी पार करना है और दौड़ में जो भी चुनौतियाँ आएँगी आप उन सबका सामना करेंगे.. ।
हम सब पूरी तरह से तैयार हैं गुरूजी ! – सभी शिष्यों ने एक ही स्वर में कहा..
अगले ही सुबह दौड़ शुरू हुई और सारे शिष्यों ने बहुत स्फूर्ति के साथ दौड़ लगाई । जब वे अंधेरी सुरंग में पहुंचें तब सभी के पाँव में कुछ चुभने का आभास प्रतीत हुआ । जगह-जगह पर कुछ नुकीले पत्थर थे, जिनकी वजह से पैरों को बहुत चोट आई और वे सभी दर्द से कराह रहे थे । जैसे-तैसे दौड़ पूरी हुई ।
दौड़ पूरी करके छात्र आश्रम में एकत्रित हुए तब गुरूजी ने सभी छात्रों से पुछा- “आप सब छात्रों में कुछ ने दौड़ बहुत जल्दी पूरी कर ली और कुछ छात्रों को ज्यादा समय लगा! ऐसा क्यों?”
एक शिष्य ने इसका जवाब देते हुए कहा- गुरूजी, हम सभी छात्रों ने एकसाथ दौड़ना शुरू किया लेकिन अंधेरी सुरंग पहुँचते ही हम सबकी स्थिति बिलकुल ही बदल गयी । कुछ मित्रों के पैर में नुकीले पत्थर चुभने के कारण वे संभलकर आगे बढ़ रहे थे तो कुछ मित्र पत्थरों को उठाकर अपने हाथ और जेब में पकड़ते जा रहे थे ताकि पीछे आ रहे दुसरे मित्रों को दर्द ने सहना पड़े ।
गुरूजी ने कहा- जिन शिष्यों ने पत्थर उठाये हैं, वे सभी आगे आकर मुझे वो पत्थर दिखाएँ!
जिन छात्रों ने पत्थर उठाये थे वे सभी आगे आकर वो नुकीले पत्थर दिखाने लगे । गुरूजी ने उनमे से एक पत्थर अपने हाथ में लिया और कहा- शिष्यों जिन्हें तुम सभी एक सामान्य-सा पत्थर समझ रहे हो ये असल में बहुमूल्य हीरे हैं और मैंने ही इन्हें सुरंग में डाला था ।
यह दौड़ हमारे जीवन की प्रतिस्पर्धा को दर्शा रही है । जहाँ हर एक व्यक्ति एक-दुसरे से बस आगे निकलने के लिए ही दौड़ रहा है । लेकिन आखिर असली विजेता वही है जो इस दौड़ में दूसरों का भला करते हुए आगे बढ़ता है ।
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ये हीरे उन सभी शिष्यों को मेरी तरफ से उपहार है जो किसी दुसरे की पीड़ा को महसूस करके इन पत्थरों को उस रास्ते से हटा रहे थे ।
दोस्तों जीवन में हमेशा एक बात याद रखिये, आप अपनी लाइफ के असली विजेता तभी होंगे जब आप परोपकार को महत्व देंगे.. परोपकार की भावना को समझेंगे और जब आप सिर्फ अपने बारे में ही नहीं, बल्कि सबके जीत के बारे में सोचेंगे…
धन्यवाद !
किरन जी ,
ये एक प्रेरणादायक कहानी है , जो कि आज की वास्तविकता को दर्शाती है , क्योकि हो भी यही रहा है , आज किसी को भी किसी से मतलब नही ।
कॉम्पिटिशन की भावना अच्छी बात है , लेकिन वो गलत दिशा में हो तो वो जीवन बर्बाद कर देती है ।
इस आर्टिकल के द्वारा लोगों को एक सही सन्देश किरन जी ने दिया है , जिसे सभी को सीखना चाहिए ।
बहुत अच्छे ।।
धन्यवाद Singh साहब 🙂
ये छोटी छोटी कहानियां जीवन को बदलने में काफी मदद करती हैं।
हम उम्मीद करते हैं की आने वाले लेख भी आपको पसंद आएं। 🙂
सादर आभार
किरण।
Bahut accha article Sir
Like always, great content, Keep up the good work!
Very Good & Inspirational story. Thanks.
apka article bahut hi achhe se likha gaya hai .badhai ho apko jo aap ek safal blogger hai .
thanks sir aisi motivational stories ke liye ….
The Noise Of Guns Rising In America? (Hindi/English)
Read Full Story From Below Link….!!
https://raohindistore.blogspot.in/2018/05/the-noise-of-guns-rising-in-america.html
Thanks for sharing this useful post,
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