हीरा देखने में बहुत ही सुन्दर और बड़ा था, शायद ही किसी ने ऐसा हीरा अपने राजमहल में देखा था. राजा ने भी इसकी कीमत आँकने की बहुत कोशिश की परन्तु वह भी असफल रहा. आखिरकार उसने हीरे के असली मूल्य का पता लगाने के लिए मंत्री को यह जिम्मेदारी सौंपी. मंत्री बहुत चतुर और बुद्धिमान था. उसने राजा से कहा कि वह रात को ही इसकी कीमत बता पायेगा. मंत्री के कहे अनुसार रात में दरबार लगाया गया..
रात को मंत्री राजा के पास आया और उसने कहा, “ महाराज इस हीरे का असली मूल्य तो दो कौड़ी भी नहीं हैं” दरबारे में उपस्थित सारे लोग मंत्री की बात को सुनकर चौंक गए.. राजा ने मंत्री से यह बात साबित करने को कहा.. मंत्री, राजा को एक अँधेरे कमरे में ले गए और उसने हीरे को एक मेज पर रखकर पूछा, “महाराज! हीरा कहाँ है? राजा को हीरा दिखाई नहीं दिया..
मंत्री ने राजा से विनम्रपूर्वक कहा, “ महाराज, हीरा तो इस मेज पर ही है, किन्तु अँधेरे के कारण दिख नहीं रहा है. अगर यह असली हीरा होता तो आपको अँधेरे में भी चमकता हुआ स्पष्ट दिखाई देता, परन्तु यह तो सिर्फ कांच का एक टुकड़ा है इसलिए इसे देखने के लिए उजाला चाहिए होगा..
मंत्री ने आगे कहा, “ असली हीरे को अँधेरे या उजाले से कोई भी फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह हमेशा चमकता रहता है, आखिर उसे पता होता है कि उसका असली मूल्य क्या है! और बाहरी परिस्थितियां उसकी रौशनी और चमक को कभी प्रभावित नहीं कर पातीं..”
मित्रों कहानी से स्पष्ट है, हमारी जिंदगी में भी कई बार अँधेरा छा जाता है और हम निराश होने लगते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि हमारा असली मूल्य चमकदार हीरे की तरह है न कि उस कांच के टुकड़े की तरह जो सिर्फ उजाले में चमकता है और अँधेरे में गूम हो जाता है. हमे हमेशा खुद में यह विश्वास पैदा करना चाहिए कि हम हीरे की भांति अंधरे में भी चमकने की शक्ति रखते हैं अर्थात विपरीत परिस्थिति में भी पूरे साहस और विश्वास के साथ अपनी रौशनी बिखेरने को तैयार रहते हैं क्योंकि हमारा असली मूल्य हम जानते हैं और अब हमे पता चल गया है कि हम कांच का टुकड़ा नहीं बल्कि के शानदार, चमकदार हीरा हैं…
धन्यवाद!